सैनिक की माँ का दिल

एक सैनिक की माँ करती है असाधारण त्याग।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 28 May, 2020 | 1 min read

देश के सैनिक की माँ का दिल बहुत बड़ा होता है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। वैसे तो हर मांएं अपनी संतान के लिए बहुत कुछ त्याग करती है। परंतु एक सैनिक की माँ असाधारण त्याग करती है। त्याग असाधारण इसलिए क्योंकि सैनिक की माँ भी तो एक माँ ही होती है और एक माँ भला अपनी संतान को कष्ट झेलते कैसे देख सकती है। पर सैनिक की माँ अपने सैनिक बेटे को मुश्किलों से लड़ने के लिए हौसला प्रदान करती है। माँ जानती है कि सरहद पर मुश्किलें अनगिनत होंगी पर फिर भी एक माँ, माँ भारती की रक्षा हेतु अपने बच्चों का मनोबल बढ़ाती है। और कहती है जा मेरे लाल अपनी मातृभूमि की रक्षा कर।

माँ का दिल धड़कता है:- एक माँ का दिल बहुत धड़कता है जब माँ की आँखों का तारा माँ की आँखों से दूर सरहद पर देश की रक्षा हेतु घर से जाता है। माँ की स्थिति बहुत ही विकट होती है उस वक्त पर माँ जानती है कि मेरा बेटा भले ही मुझसे दूर है पर कहीं-न-कहीं वो मेरे आसपास है। मेरा आशीर्वाद उसके साथ है। माँ हर पल बस सैनिक बेटे की सलामती की दुआ करती है ईश्वर से।

माँ गौरान्वित महसूस करती है:- माँ ख़ुद पर गर्व करती है कि वो एक सैनिक की माँ है। माँ को ख़ुद पर इस बात का गर्व होता है कि मेरा बेटा अपनी मातृभूमि की सेवा दिन-रात करता है। माँ को इस बात का गर्व होता है कि मेरा बेटा न जाने देश की कई मांओं की रक्षा हेतु देश की बहन,बेटियों की रक्षा हेतु तन पर सरहद पर कष्ट सहन करता है। शीत ऋतु हो या ग्रीष्म ऋतु हर परिस्थिति में देश की रक्षा करता है एक सैनिक। तो एक माँ के लिए इससे अधिक ख़ुशी की बात क्या होगी।

मेरे शब्दकोष में शब्द नहीं है कि मैं बयां कर सकूं कि एक सैनिक की माँ कितना कुछ त्याग करती है। ख़ुद से परिवार से बेटे को दूर भेजने वक्त माँ का दिल भी रोता है यह सच है। एक माँ ख़ुद से ज्यादा प्रेम करती है अपने बच्चों से। माँ कभी नहीं चाहती है कि उसके बेटों के ऊपर कोई भी कष्ट आए पर माँ कलेज पर पत्थर रखकर मातृभूमि की रक्षा हेतु बेटे को दुश्मनों से लड़ने के लिए सरहद पर भेजती है।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

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  • Bharat Bhushan Pathak · 3 years ago last edited 3 years ago

    कुमार आपकी रचनाधर्मिता को नमन है।निस्सदेह आपकी रचना प्रशंसनीय है,वंदनीय है ,नमनीय है।माँ तो माँ होती है,परन्तु एक सैनिक की माँ होना उस माँ को जहाँ गौरवान्वित करती है,वहीं उससे अधिक कष्टकारी होता है उस माँ के लिए अपने पुत्र को ,अपने कलेजे को दूसरी माँ कहने को पर सर्वोपरि माँ,सर्वोच्च माँ अर्थात माँ भारती तो उस माँ से भी बड़ी माँ हैं,जिसे उस माँ ने अपने पुत्र को सौंप दिया।पर संभवतः माँ भारती उस माँ से भी बड़ी होने के बावजूद भी उस सैनिक की माँ को नमन करती होगी,उस माँ के चरणों को नमन करने के लिए संभवतः आतुर होंगी।

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    मनपूर्वक आभार सर आपका इतनी सुंदर प्रतिक्रिया हेतु।✍️🙏🏻🙏🏻✍️

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    मनपूर्वक आभार सर आपका इतनी सुंदर प्रतिक्रिया हेतु।✍️🙏🏻🙏🏻✍️

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    मनपूर्वक आभार सर आपका इतनी सुंदर प्रतिक्रिया हेतु।✍️🙏🏻🙏🏻✍️

  • Praveen Miss · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुन्दर

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