प्रेम पेड़ के मानिंद है

प्रेम की तुलना आसमां से करना ग़लत नहींं।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 04 Feb, 2021 | 1 min read
Hindi poetry 1000poems

प्रेम

बाजार में बिकने वाली कोई वस्तु नहीं

जिसे जब जी चाहे

पैसे से खरीद ली जाए

प्रेम

एहसासों का समंदर है

प्रेम, पेड़ के मानिंद

परोपकारी, दयालु है

प्रेम के मार्ग पर

कदम बढ़ाने वाले पथिक के

जीवन में बाधाएँ

बिलकुल नहीं आती हैं

जिस तरह एक वृक्ष 

प्रदान करता है इंसान को

बहुत कुछ

ठीक उसी तरह

प्रेम के छाँव तले

विश्राम करने वाले

हर शख़्स को

प्रेम भी प्रदान करता है

बहुत कुछ

वो सबकुछ प्रदान करता है

प्रेम, जिसकी हम कल्पना 

भी नहीं कर सकते हैं

हाँ, सचमुच प्रेम की तुलना

यदि की जाए आसमां से

तो कुछ ग़लत नहीं

हाँ, जिस तरह आसमां की ऊंचाई अनंत है

ठीक उसी तरह

प्रेम की विशेषता अनंत है।।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

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Comments

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  • Anita Bhardwaj · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत सुंदर

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद

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