प्यार के मायने

प्यार के असल मायने!!

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 11 Jul, 2020 | 1 min read
Short story Short motivational story

पत्नी की बात सुनते ही बेटे ने अपनी माँ से कहा, “माँ! तू मोनिका को हर बात पर क्यूं टोकती है। ज़रूरी है हर बात पर टोकना। कुछ बातों को नज़रंदाज़ कर देगी तू तो क्या होगा? पता नहीं माँ तू क्या चाहती है? हर दिन कुछ-न-कुछ किसी-न-किसी बात पर विवाद। तंग आ गया हूं मैं।” बेटे को भी माँ की ग़लती ही दिखाई दे रही थी।


माँ की भावनाओं को समझना ज़रूरी नहीं था उसके लिए। माँ ने बेटे की बातों को सुनकर कहा, “वाह! बेटे माँ की जुबां पर बंदिश लगा रहा है तू। प्यार की परिभाषा तू नहीं समझेगा मेरे बेटे। तू मेरी आँखों में जरा एक बार अपनी आँखों से देख तो सही। क्या तुझे लगता है कि तेरी माँ परिवार को तोड़ना चाहती है?


बेटे ठीक है तेरी ख़ुशी के लिए एक काम मैं और करूंगी। आज से बहू को किसी बात के लिए नहीं समझाऊंगी। बेटे बस तेरी माँ को आज इस बात का अफ़सोस है कि अपना बेटा ही अपनी माँ के दर्द व भावना को न समझ सका। प्यार के असल मायने तू नहीं समझेगा बेटे।” इस बात को कहते हुए माँ एक कोने में जाकर सिसक-सिसकर रोने लगी।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित



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