माँ आप वो आसमान हो

दुनिया की हर माँ को समर्पित यह रचना।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 29 Mar, 2020 | 1 min read

माँमाँ ! आप वो आसमान होजो अपनी संतान को प्रेम से ढक कर रखता है।।

माँमाँ ! आप वह सूर्य हो जिसका  प्रकाश आपकी संतान कोदुख के अँधीयारें से दूर रखता है।।

माँमाँ ! आप वो फूलों की बगिया होजिस बगिया का हर फूल आपके लाल के दुख को दूर करता है।।

माँमाँ  !आप वो वृक्ष होजिसकी छाँव में हम पुत्र बड़े होअपनी पहचान बनाते हैं।।

माँमाँ ! आप वो बारिश की बूँदें होजो अपने लाल के सभी कष्टों को धो देती हैं।।

माँमाँ ! आप वो श्यामपट्ट होजिस पर नैतिकता व संस्कारसिखाए जाते हैं।।

माँमाँ  ! आप वह त्याग की मूर्ति होजिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है।।

माँमाँ ! आप वो शब्द होजिसका वर्णन करना किसी की कलम से संभव नहीं।।

माँमाँ  ! आप वो संपूर्ण व्याकरण होजिसे पढ़ हम पुत्र आपकों समझ नहीं पाते हैं।।

माँमाँ ! आप वो नदी की धारा होजो अपने साथ संतान की पीड़ा को कहीं दूर बहा ले जाती हो।।

©कुमार संदीपमौलिक,स्वरचित

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