महिला

समस्त नारी शक्ति को समर्पित यह कविता।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 08 Mar, 2020 | 0 mins read

मेरे जीवन में किसी दिन छुट्टी नहीं हैहर दिन करती हूँ घर का हर कामबच्चों की ख़ुशी के लिए ख़ुद की ख़ुशीभूल जाती हूँ नहीं करती हूँ किसी दिन आराम।।


बच्चों का भविष्य हो उज्ज्वल और बेहतरइसलिए ख़ुद सहन करती हूँ हर पल कष्टनहीं कहती हूँ कभी भी कुछ भी बच्चों सेनहीं देखना चाहती हूँ उदास अपनी संतान को।।


यदि मिल जाए अपनों का साथ तोमैं भी कर सकती हूँ बहुत कुछबना सकती हूँ अपनी एक अलग पहचानहै विश्वास मुझे ख़ुद पर हर काम करना है आसान।।


जानते हैं आप सभी कि मैं कौन हूँहाँ मैं एक महिला हूँ जिसे यदि न बांधी जाएबेवजह की बंधनों में तो कर सकती हूँमैं भी कड़ी मेहनत से हर असंभव काम।।


©कुमार संदीपमौलिक,स्वरचित

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