बेटियों को पढ़ाना-लिखाना

देश की हर बेटियों को समर्पित है यह कविता।।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 27 Apr, 2020 | 1 min read


घर में चहुंओर रौनक फैलाती हैं बेटियाँ

बेटी के होने से ही है घर स्वर्ग समान

स्वार्थी मनुज बेटे की चाहत में

मत मारना अपनी लाडली बेटी को

बेटी भी करती है कुल का नाम रोशन।।


केवल बेटी बचाओ नारा ही मत लगाना

बेटियों को पढ़ाना-लिखाना भी तुम

जब कभी बेटियों पर कोई बुरी दृष्टि डाले

तो उन पापियों को सबक सीखाना तुम

हाँ,बेटियों को गर्भ में ही मत मारना तुम।।


बेटियाँ तो करतीं हैं दो कुलों का नाम रोशन

घर आँगन की ख़ुशी की वजह हैं बेटियाँ

बेटियों को देना सदा सुसंस्कार मनुज

बेटियों को बोझ मत समझना कभी

बेटियों को देना सदा उचित मान-सम्मान।।


मत भूलना मनुज कभी तुम इस बात को

तुझे जन्म देने वाली भी होती है एक बेटी

नारी के बिना अस्तित्व ही नहीं है नर का

इस बात को रखना सदा स्मरण तुम

और बेटियों को देना सदा उचित सम्मान तुम।।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित, अप्रसारित

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