पेड़ की पत्तों की तरह होते हैं रिश्ते

Article-07 Topic-रिश्तों की डोर

Originally published in hi
Reactions 0
1904
Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 15 May, 2020 | 1 min read

रिश्ते पेड़ की पत्तों की तरह होते हैं। जिस तरह थोड़े-से प्रहार मात्र से या तनिक जोड़ लगाने पर पत्ते डालियों से टूटकर नीचे ज़मीन पर गिर जाते हैं। ठीक उसी तरह रिश्ते भी होते हैं। क्रोध,ईर्ष्या, अहंकार के प्रहार से रिश्ते भी टूट जाते हैं बिखर जाते हैं। इसलिए यह प्रयास करें कि रिश्तों के बीच क्रोध, ईर्ष्या व अहंकार न आए। अन्यथा रिश्तों की डोर कमजोर होने में देर नहीं लगेगी।

●क्रोध के समय संयमित रहें- जब क्रोध हावी होने लगे पूर्णतः आपके ऊपर तो उस वक्त ख़ुद को संभालिये। क्रोध में लिया गया निर्णय हमेशा ही नुकसानदेह होता है। इसलिए यथासंभव प्रयास कीजिए कि क्रोध की स्थिति उत्पन्न होने से पूर्व ही नष्ट हो जाए। इसके लिए यह प्रयास करना होगा आपको कि आप छोटी-छोटी बातों को अनसुना कर दें। ध्यान न दें उन बातों का जिनसे रिश्तों में दरार उत्पन्न होती हो। क्रोध को ख़ुद पर हावी होने ही मत दीजिए किसी भी हाल में।

●ईर्ष्या की भावना मन में क्यूं लाना- रिश्तेदार,पड़ोसियों की उन्नति तरक्की देख हमें ख़ुश होना चाहिए न कि ईर्ष्या की भावना को मन में प्रबल होने देना चाहिए। हमें प्रयास करना चाहिए कि हम भी कुछ बेहतर करें। ईर्ष्या की भावना मन में उपजाकर रिश्तों में कड़वाहट लाना सही नहीं है। निरंतर प्रयास करें ख़ुद में निखार लाने की। ईर्ष्या एक शत्रु की भाँति है, जो रिश्तों की डोर को कमजोर करने का भरसक प्रयत्न करती है। इसलिए रिश्तों के बीच कभी भी इसे आने ही मत दीजिए!

रिश्तों की डोर रहे मजबूत हर परिवार में सदा यही प्रार्थना ईश्वर से है। रिश्तों की एहमियत समझिए व हमेशा रिश्तों को संभालकर भी रखिये। क्योंकि, जब कोई सहारा देने वाला नहीं होता है प्रतिकूल परिस्थिति में तो रिश्ते ही आते हैं काम।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

0 likes

Published By

Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.