प्रेम की पीर

एक प्रेमी की प्रेमिका जब प्रेमी को छोड़कर अलग दुनिया बसा लेती है अर्थात् उसका साथ छोड़ देती है तो इस स्थिति में प्रेमी की क्या मनःस्थिति होती है रचना के माध्यम से यह दर्शाने का एक छोटा-सा प्रयास।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 14 Feb, 2020 | 0 mins read

एक पल के लिए भी तुमने

नहीं सोचा कि

मैं तेरे बिन कैसे जीऊंगा

मेरी आँखों से होने वाले

अश्रुपात को तुम नहीं समझ सकी

हाँ भला इतना निर्दयी

कोई कैसे हो सकता है

मैंने तो सदा साथ निभाने का

वादा किया था

हाँ अंतिम साँस तक

साथ निभाऊंगा यह वादा किया था

क्या तुम्हें सभी वादे झूठे लगे जो

तुम छोड़ गई मुझे रो रोकर जीने को

मेरे प्रेम की पीर को

तू न समझ सकी

याद रखना एक बात कि

तुमने मुझे खोकर

सबकुछ है खोया

अलग दुनिया बसाकर

तुम भले ही ख़ुश हो आज बहुत

पर तुमने मुझे खोकर

है बहुत कुछ खोया।।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित, अप्रसारित

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