प्रकृति

Contest:-प्रकृति दे रही संदेश हमें

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 18 Apr, 2020 | 1 min read

चहुंओर पसरा है सन्नाटा सड़कों पर

कमरे में बंद जी रहें ज़िंदगी सभी

सर्वत्र निर्धन बिलखकर रो रहें हैं

आई है आफ़त सभी के ऊपर अभी

गुजर रही है ज़िंदगी किसी तरह अभी।।

प्रकृति इस वक्त है सर्वत्र स्वच्छ

प्रकृति दे रही है संदेश सभी को

मानव भूल रहा है अपना कर्तव्य

ख़ुद की उन्नति हेतु खिलवाड़

कर रहा है मनुज प्रकृति के साथ।।

चहुंओर इस वक्त सभी हैं संकट में

पर खोना नहीं है हिम्मत हमें हर हाल में

बाधाएँ तो आती-जाती रहती है ज़िंदगी में

होगा फिर से ऊजला इक दिन निश्चित-ही

आएगी ख़ुशहाली के दिन फिर इक दिन।।

इस महामारी को हम सभी हराएंगे

और लेंगे हम सभी प्रण इस वक्त

प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे कभी

प्रतिकूल परिस्थिति है बेशक अभी

पर हम हार नहीं मानेंगे कभी।।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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