छोटू के पिता की असमय मृत्यु पाँच वर्ष पूर्व हो गई थी।उस वक्त छोटू महज चौदह वर्ष का था।तमाम मुश्किलों को सहन करने के पश्चात भी उसने कभी भी टूटना नहीं सीखा था।उसके पिता जी हमेशा प्रेरणादायक बातें बताया करते थे उसे।उसके पिता ने अपने जीवन में जो दर्द सहन किए थे अक्सर छोटू को बताया करते थे।उन बातों को याद कर छोटू की आँखें नम हो जाती थी अक्सर।
अच्छे संस्कार देने में उसके पिता ने कोई कमी नहीं छोड़ी थी।जाते-जाते उन्होंने छोटू को अच्छे संस्कार देकर उसको औरों से अलग बना दिया था।छोटू के मन में सभी के प्रति संवेदना थी चाहे वह इंसान हो या बेजुबान जानवर।
एक दिन एक छोटा बच्चा नन्ही-नन्ही चींटियों को पैर से कुचलकर मार रहा था।यह देखकर छोटू को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।उसने उस बच्चे के निकट जाकर उसे समझाया।छोटू ने कहा "बाबू क्यूं मार रहे हो पैरों से कुचलकर इन चींटियों को।"जब कभी छोटू के सामने कोई भी चींटी या अन्य कीड़े-मकोड़े आते छोटू अपने कदम पीछे की ओर खींच लेता था पर कभी भी पैरों से रौंदकर नहीं मारता था किसी भी कीट को।बेजुबानों के प्रति अथाह प्रेम शायद ही किसी में देखने को मिलता है।जब छोटू ने ये प्रश्न किया उस नन्हे बच्चे से बच्चे ने कहा "भाई जी ये चींटियाँ जीकर क्या करेंगी?बस मजे के लिए इन्हें मार रहा हूँ!बहुत ख़ुशी हो रही है इन्हें मारकर।"
इतना सुनकर छोटू ने कहा "बाबू तू अभी छोटा है जब तू बड़ा हो जाएगा न तू ख़ुद-ब-ख़ुद समझ जाएगा।बाबू यदि हमें या तुम्हें कोई एक थप्पड़ लगा दे या डंडे से धीमे से ही सही यदि हमारे ऊपर प्रहार करे तो हम मर नहीं सकते हैं।पर हमारे या तुम्हारे पाँवों से रौंदे जाने के पश्चात ये बेजुबान चींटियाँ मर जाएंगे।क्या बेजुबानों को जीने का अधिकार नहीं?बाबू मेरी बातों पर विचार करना जरा और मत मारना कभी भी किसी बेजुबान को और अपनी ज़िंदगी में कभी भी किसी को भी अपने विचार या व्यवहार से आहत मत पहुंचाना।"इतना सुनकर उस बच्चे ने कहा ठीक है भईया नहीं मारेंगे कभी भी इन्हें और न ही कभी भी किसी का दिल दुखाने का प्रयास करेंगे।"
इनके बीच के संवाद को सुनकर वहां से कुछ दूरी पर खड़े लोग छोटू के विचारों की प्रशंसा करने लगे।और उन लोगों की आँखें भी छोटू ने खोल दी।वहां खड़े लोगों ने कहा सचमुच विजय ने अपने बेटे को बहुत ही अच्छे संस्कार दिए हैं।छोटू है तो उम्र में छोटा पर हम सभी को उसने आज बहुत ही अच्छी सबक दी है।नन्ही चींटी के प्रति उसके हृदय में इतनी संवेदना है।आज से पहले हमारे पाँवों के नीचे भी जब कभी चींटियाँ आती थी तो बिना उसके जान की प्रवाह किए उन्हें मार देता था अपने कदम नहीं रोकता था।पर आगे से ऐसा अब कभी नहीं करूंगा।छोटू ने आज हमारी बंद आँखें खोल दी।विजय आज जहां कहीं भी होगा बेटे की तरक्की और अच्छे संस्कार को देखकर वह प्रफुल्लित हो रहा होगा।
©कुमार संदीपमौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.