अपनी गलतियों का भान

Topic-रिश्तों की डोर Article-09

Originally published in hi
Reactions 1
1477
Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 18 May, 2020 | 1 min read

मन से गिले-शिकवे मिटाकर रिश्तों में नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास यदि हम निरंतर करें तो, रिश्ते आजीवन कायम रहते हैं। कभी भी मनमुटाव की स्थिति पनपे ही मत दीजिए मन में। अन्यथा रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगती है। रिश्तों की डोर टॉपिक हेतु आज यह मेरा नौवां आलेख है। पता नहीं, इन आलेखों में मैंने आपके समक्ष सही संदेश दे पाया या नहीं। पर मेरा यह प्रयास रहा है कि पूरे मन से रिश्तों की एहमियत को शब्दों का रुप दूं।आज पुनः रिश्तों की डोर टॉपिक के लिए आपके समक्ष एक आलेख लेकर हाज़िर हूँ।

अपनी गलतियों का भान :- रिश्तों की डोर कमजोर होने की एक मुख्य वजह यह भी है कि हमें अपनी गलतियों का भान नहीं होता है। हम जो करते हैं वही हम सही मानने लगते हैं। यह सही नहीं है। हमने क्या गलतियाँ की हैं? इसकी जानकारी भी हमें होनी चाहिए। और उन गलतियों को दूर करने का प्रयास भी करना चाहिए। ताकि रिश्तों में नजदिकियाँ बढ़े।

गिले-शिकवे भूलने की आदत :- कई बार ऐसा भी होता है जब हम छोटी-छोटी बातों को भी विस्तृत रूप दे देते हैं। जिनसे रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगती है। गिले-शिकवे को भूलने की आदत डालिये। हर बातों को दिल पर लेने की आदत छोड़ दीजिए। ताकि रिश्तों में दूरियां कम हो और नजदिकियाँ बढ़े।

रिश्तों की एहमियत समझिए। ये रिश्ते बेहद अनमोल होते हैं। एक बार यदि रिश्ते टूट जाएं तो वापस जुटने में बहुत परेशानियाँ होतीं हैं। इसलिए रिश्तों की डोर मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास कीजिए। उन बातों को भूल जाइये बिल्कुल ही जो अनावश्यक है,जिनसे रिश्तों में दूरियां बढ़ती है।

धन्यवाद!

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

1 likes

Published By

Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.