'ससुराल का सुख'

'ससुराल का सुख'

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indu inshail
indu inshail 02 Jun, 2020 | 1 min read
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सुबह से पेट में दर्द है यह कहते-कहते मीना बिस्तर पर पसर गई।तो आराम क्यों नहीं कर लेती, उसके पति ने उसके सर पर हाथ रखते हुए कहा। कैसे आराम कर लूँ, इतना सारा घर का काम बाकी है।अभी तुम्हारा ऑफिस का लंच बनाना है। मम्मी को भी ऑफिस जाना है। बेबी को भी दूध की बोतल बनाकर देनी है। कैसे आराम करूँ और यह दर्द है कि सही होने का नाम नहीं ले रहा। मीना सारी बातें एक साँस में कह गई।

इतने में ही मम्मी की आवाज आई, क्यों परेशान हो चलो थोड़ा काम मैं भी करवा लेती हूं।

नहीं मम्मी ! आपको पहले ही ऑफिस के लिए लेट हो रहा है। आप ऑफिस जाने की तैयारी करें। मैं धीरे-धीरे करके सारा काम निपटा लूंगी।

अरे टेंशन मत लो बेटी। मैं काम भी निपटा लूंगी और ऑफिस भी चली जाऊंगी। वैसे भी ऑफिस का काम घर के लोगों से ज्यादा महत्वपूर्ण थोड़ी ना हैं।माँ ने यह कहते कहते किचन में रोटियां सेकना शुरू कर दिया।

मम्मी प्लीज आप बैठ जाओ, मीना की आवाज आई।मैंने सारा काम कर लिया है बस रोटियां सेंकनी है। लाइए मैं कर लेती हूं।

मीना तुमने पहले ही सारा काम निपटा दिया है। रोटियां तो मैं भी सेंक सकती हूं और इससे थोड़ा तुम्हें आराम भी मिल जाएगा। मेरे ऑफिस जाने के बाद तुम्हें बच्चे को भी संभालना है, तो थोड़ा सा आराम कर लो और हां ज्यादा मत सोचा करो हम सब लोग मिलकर थोड़ा थोड़ा काम कर लेंगे तभी तो तुम्हें आराम मिल पाएगा। तो खुश रहो और परेशान मत हो। माँ ने मीना को समझाया। 

मां की बात सुनकर मीना की आंखें गीली हो गई और वह जाकर वापस बिस्तर पर लेट कर सोचने लगी यही होता है शायद 'ससुराल का सुख'। अगर एक समझदार परिवार आपको शादी के बाद भी मिल जाए तो आपकी जिंदगी बहुत आसान हो जाती है।

- ©इन्दू इंशैल


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