भूखे को कौन मिटाये

Motivational poem

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 30 Dec, 2021 | 1 min read

आँखों के झिलमिल को

मोती माणिक कौन बनाये

पीड़ा से आतप न हो फिर भी

मातमी स्वर कौन लगाये।।


आँखे न रोती हों फिर भी

दिल तो रो ही सकता है।

अंदर जो कुछ मर रहा है

उसे पुकारे कौन जगाये??


प्रथम आँखे बंद मन मौन 

बनकर गोता लगा रहा था

अब जब दिल दरिया में

दुबे तो उसे फिर कौन बचाये।



निष्फल हो तो दोषी कौन

यह सब कौन पता करे

कोई तो अंदर से खा रहा

उस भूखे को कौन मिटाये।।



अरे अधम, अंदर बाहर तू ही

ये न जान मूरख क्यों बनता

अब भी वक्त दम्भ भर उठ

चल संग विजय गीत गाया जाये।।

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Dr. Pratik Prabhakar

Drpratikprabhakar

Comments

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  • Kumar Sandeep · 2 years ago last edited 2 years ago

    Bahut khub

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