धर्म विभेद

कैसे भारत में अनेकता में एकता है, बाबजूद इसके कि यहाँ कई धर्म के मानने वाले रहते हैं।

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 19 Dec, 2020 | 1 min read

एक विदेशी आये मिलने

पूछे मुझसे प्रश्नों के खान

क्योंकर तुम हिन्दवासी

कहते रहते भारत महान।।



इतनी सारी बोली-भाषा

क्षेत्र-वेश व कर्म विधान

धर्म ,निष्ठा,संस्कार अलग

कैसे एक यहाँ रहते इंसान।।



तब एक भारतवासी हो

कैसे सुनता उनके बखान

मैंने उनको पास बिठाया

बोला उनसे मैं देकर मान।।


पग प्रच्छालते हिन्द सागर से

माथ हिमालय तक हिंदुस्तान।।

रण कच्छ से लेकर अरुणाचल

यूँ विस्तृत फैला भारत महान।।



राम यहीं के , बुद्ध यही के

गुरु गोबिंद , महावीर का ज्ञान

हम सब 'स्व' के बंधन से मुक्त

सब अपने न कोई है अनजान।।



मंदिर के शंख,गुरुद्वारे की वाणी

यहाँ सुनो मस्ज़िद का अज़ान।।

कहाँ पाओगे मित्र मेरे ये सब

ढूंढ जो तुम सारा जहान।।




भले बोलियाँ - मज़हब अनेक, 

पाते यहाँ सभी सम्मान।।

सब भारत भूमि के हैं पुत्र 

यहाँ न संशय का स्थान।।



मेरे प्रत्युत्तर से संतुष्ट हुए वो

कहे भारत के मनुज महान

ऐसे देश की एकता अमर हो

भारत देश रहे सदा महान।।

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Dr. Pratik Prabhakar

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  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Well penned. Country love should be the first thing in every individuals mind. We are Indians first.

  • Dr. Pratik Prabhakar · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks a lot🙏

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    very nice

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