रंगभेद-व्यसन

आँखों पर रंगों की चादर ओढ़े बस काला-गोरा का फ़र्क जानते। कपटी मनुज इंसानियत के दंभी किस मुँह खुद को इंसां कहलाते।

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 06 Nov, 2020 | 1 min read
Colour

आँखों पर रंगों की चादर ओढ़े

बस काला-गोरा का फ़र्क जानते।

कपटी मनुज इंसानियत के दंभी

किस मुँह खुद को इंसां कहलाते।



क्यों न समझते ,नित पैमाना गढ़ते

गोरा होना ही सुंदरता समझाते।।

पूजते श्री श्याम-राम - शिव को

क्योंकर फिर न कुछ समझ पाते।।



बनाने वाले न कोई है फ़र्क किया

कौन हैं जो ये सब भरम फैलाते।।

मित्र, क्या हम आप ही नहीं वो 

सुंदरता को मापते रहते भरमाते।।



साथियों रंगभेद-व्यसन तजे हम

एक मनुष्य की पहचान बनाते।।

सब एक ,परमपिता की संतान

भेद नही अब कोई मान जाते।।

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