ईश्वर के लाने सब बरोबर है।

बुंदेली रचना

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 30 May, 2020 | 1 min read

"अरे नेहा! जो का करो तुमने जी गिलास से अपन पानी पियत है ओइ गिलास से राधा खा भी पानी दे दओ तुमने। तो से कितने बेर कई की कामवाली के लाने मैंने अलग से बर्तन नेकारे है ओइ में पानी देय करें" मिसेज गुप्ता ने अपनी मोड़ी नेहा का खिसिया के बोली।

राधा जो ओतई झाड़ू लगाउत ती उने भी मिसेज गुप्ता और नेहा को बतकाओ सुन लओ तो लेकिन सब सुन के भी अपमान को घूंट पी गई आखिर कामवाली जो हती।

दूसरे दिना:

"जो का नेहा आज फेर तुमने टिफिन नई खाओ। रोटी सब्जी जेयौ के तैयो आ गए" बस्ते से टिफिन निकालत मिसेज गुप्ता बोली

"सॉरी मम्मी, मोरी क्लासमेट जूही की मम्मी बहुत अछ्यो खाना बनाउत है एइसे मैंने उ के संगे टिफिन कर लओ तो।" नेहा बोली

"अच्छा तो कोनऊ देना अपनी सहेली जूही खा अपने घरे बुलाइयो तब मैं भी उ खा अपने हाथन को बनो खाना खिलाओ।" मिसेज गुप्ता ने कई।

राधा ने जब सुनो तो मन ही मन संतुष्ट हो के मुस्कान लगी। ईश्वर ने राधा के अपमान को बदलों ले लओ तो काय से जूही राधा की ही बिटिया हती। ईश्वर के लाने सब बरोबर होत है उ जात पात अमीरी गरीबी नई देखत उ तो सबखा एक नजर से देखत है। जा अमीरी गरीबी, ऊँच-नीच जे सब तो इंसानन ने बनाई है।

मोरी बुंदेली कहानी पसन्द आये तो लाइक जरूर करियो। धन्यावाद

स्वरचित

@बबिता कुशवाहा

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