बुंदेली भाषा कहानी

हर दीवाली के लाने

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 29 May, 2020 | 1 min read

सबहू के दौरे दिया जल गए है सबहू कि घरे रोशनी से जगमगा रये है और ते ऐते अंधयारे में बैठी है चले पूजा को वख्त हो गओ है" मोहन जी अपनी पत्नी वसुधा से बोले

मगर कोनऊ जवाब न मिलो। मोहनजी ने एंगर जाके देखो तो वसुधा आँसूअन से नहा चुकी हती।

"ले अब ते फेर शुरू हो गई। आज त्यौहार के देना रो रइ। अब कबलो उको इन्तजार कर है। उ खा आने होतो तो कब को आ चूको होतो। दस साल हो गए उ खा गए अब उ नई आहे। अब उ विदेश में खुश है अपने बीवी बच्चन के संगे।"

"लेकिन मोरी खुशी तो ओई में है" वसुधा जी रोउत बोली

तबई दौरे में गाड़ी की आवाज सुनाई दई। वसुधा का बेटा विदेश से परिवार संगे लौट आओ तो। वसुधा ने उये देखो तो दौड़ पड़ी।

"मोये विश्वास हतो ई दिवाली ते जरूर आहे। देख अबे लो मैंने पूजा भी नई करी। चल अब संगे पूजा कर हो अपनी बहू के हाथन से दिया जलवा हो अब तो" वसुधा जी खुशी के मारे बोल भी नई पा रइ ती

"हा माँ मोये माफ कर दे मैं लौट आओ हो हमेशा के लाने अब मैं समझ गओ हो कि त्यौहार का मजा तो माँ बाप के संगे है। अब मैं तोये छोड़ के कबहु न जेहो मैं लौट आओ हो सिरफ़ इस दीवाली नही हर दिवाली के लाने।

@बबिता कुशवाहा


 

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Babita Kushwaha

Babitakushwaha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • indu inshail · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bahut badhiya

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks dear

  • Kamini sajal soni · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढ़िया

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