दूसरा जन्म

माँ और बेटी का प्यार

Originally published in hi
Reactions 0
496
Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 04 Oct, 2020 | 0 mins read

चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा था शायद लाइट नही थी। पर दूर लगी स्ट्रीट लाइट की हल्की रोशनी घर के दरवाजे पर पड़ रही थी। सुशीला जी लगातार घर की बेल बजाए जा रही थी पर अंदर से कोई आहट नही आ रही थी।

रिया......रिया..... दरवाजा खोलो। सुशीला जी ने पर्स से फोन निकाल कर रिया को फ़ोन किया। रिंग की आवाज घर के अंदर से ही आ रही थी। "ये रिया दरवाजा क्यों नही खोल रही कही सो तो नही गई पर अभी तो 7 ही बजे है बारह बजे के पहले तो वो कभी सोती ही नही है।" सुशीला जी मन मे ही बोले जा रही थी।

एक बार फिर उन्होंने रिया का नंबर लगाया। रिंग बजते बजते बंद हो गई। सुशीला जी ने खिड़की से अंदर झांका अंदर से कुछ लोगो का साया भागते हुए दिखाई दिया। अब तो सुशीला जी का दिल जोर जोर से धड़कने लगा। घर मे रिया अकेली थी। सुशीला जी वर्कशॉप के काम से तीन दिनों के लिए दिल्ली गई हुई थी और आज ही लौटी थी। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अख़बार में पड़ा था कि शहर में कुछ चोरों का आतंक छाया है वे लंबे समय से सुने पड़े घर मे घात लगा कर घुसते है और बीच मे आने वाले को नही छोड़ते। रिया तो घर मे ही रहती है। "कही वो चोर मेरे घर मे तो..........कहि कोई अनहोनी...... नही नही सुशीला शुभ शुभ बोल हमेशा उल्टा ही सोचती है अच्छे ख्याल तो मन मे आते ही नही" सुशीला जी मन मे ही बड़बड़ाई।

रह रह कर रिया का चेहरा सुशीला जी के सामने आने लगा। अकेली माँ बन कर रिया को बड़े संघर्षों के साथ सुशीला जी ने पाला था। रिया बहुत छोटी थी तभी उसके पिता का देहांत हो गया था। तब से सुशीला जी ने ही माँ और पिता दोनो का प्यार रिया पर लुटाया था। रिया के लिए सुशीला जी ने अपने सुख और खुशियो को भी त्याग दिया और कभी दूसरा विवाह नही किया।

"मेरी ही गलती थी मुझे उसको घर पर अकेला छोड़ना ही नही चाहिए था। पर उसके कॉलेज का एग्जाम और मेरा वर्कशॉप एक ही साथ पड़ना था हे ईश्वर! मेरी रिया की रक्षा करना।" तभी सुशीला जी को ध्यान आया कि घर की एक चाबी तो उनके पर्स में ही रहती है। हड़बड़ाते हुए पर्स से चाबी निकाली और काँपते हाथ दरवाजे की ओर बड़ा दिये। डर तो लग रहा था पर हिम्मत करके सुशीला जी ने झटके के साथ दरवाजा खोल दिया।

जैसे ही दरवाजा खुला झट से कमरे में रोशनी छा गई।

"हैप्पी बर्थडे टू यू..... हैप्पी बर्थडे टू यू......"

रिया के सारे दोस्त तालियां बजा कर सुशीला जी को विश कर रहे थे। घर गुब्बारों और फूलों से सजा हुआ था। फूलों के बीच सजा हुआ केक टेबल पर रखा था। आज सुशीला जी का जन्मदिन था जो उन्हें याद ही नही था। रिया को देखते ही सुशीला जी की जान में जान आई। उन्होंने दौड़ कर रिया को गले लगा लिया और आंखों से आँसू झलक पड़े। ये आँसू रिया को दोबारा पाने के थे जिसे कुछ देर पहले सुशीला जी ने अपने भय में खो दिया था। उनके लिए तो ये रिया का दूसरा जन्म ही था।

मेरी रचना कैसी लगी कॉमेंट करके जरूर बताएं पसन्द आये तो लाइक करना न भले। धन्यवाद

0 likes

Published By

Babita Kushwaha

Babitakushwaha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Neha Srivastava · 3 years ago last edited 3 years ago

    Beautiful 💐💐

  • Pinky Patel · 3 years ago last edited 3 years ago

    Nice,🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thankyou

Please Login or Create a free account to comment.