डर की रात

डर की रात और वह साया

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 01 Dec, 2020 | 0 mins read
Thriller Horror

उस दिन ऑफिस में ही बहुत देर हो गई थी। राधा ने जल्दी से काम खत्म किया और बाहर आ गई। घड़ी में आठ बज रहे थे, हर रोज तो छः बजे छुट्टी हो जाती थी और ऑफिस की बस सभी को घर छोड़ती थी| पर आज बस तो पहले ही निकल चुकी थी। राधा को इस शहर में आये अभी दस दिन ही हुए थे और यह पहली बार था जब वह लेट हुई थी और ऑफिस की बस छूट गई थी। लेट होने पर उसने कैब पहले ही बुक कर दी थी थोड़ी देर में कैब भी आ गई।

घर लगभग एक घन्टे की दूरी पर था। कैब में बैठकर राधा फोन चलाने लगी। जैसे ही गाड़ी हाइवे पर आई तभी एकदम से गाड़ी में तेज झटका लगा और गाड़ी रुक गई।

"क्या हुआ भैया" राधा ने ड्राइवर से कहा

"सॉरी मैडम अभी देखता हूं" ड्राइवर ने गाड़ी से उतरते हुए कहा। पीछे पीछे राधा भी गाड़ी से उतर गई। सड़क पूरी सुनसान थी चारो तरफ सन्नाटा पसरा था। शायद अमावस्या की रात थी।

"सॉरी मैडम वो गाड़ी का टायर पंचर हो गया है थोड़ा इतंजार करना पड़ेगा" ड्राइवर ने डिग्गी से टायर निकालने लगा। राधा को सड़क पर पसरे सन्नाटे को देख कर थोड़ा डर लगा इसलिए वो फिर गाड़ी में आकर बैठ गई और मोबाइल देखने लगी। तभी उसकी नजर सामने जाते हुए एक आदमी पर पड़ी वो उस कैब का ड्राइवर ही था।

"अरे! ओ भैया कहा जा रहे हो" बोली ही थी कि वह आदमी एकदम से आंखों से ओझल हो गया

अब राधा उस सड़क पर अकेली थी। वह फिर गाड़ी में गई और मोबाइल से एक नम्बर डायल करने लगी पर मोबाइल पूरी तरह डिस्चार्ज हो चुका था। फोन कनेक्ट होने से पहले ही बंद हो गया। घड़ी देखी तो 9 बजने को थे। तभी उसे सामने से एक साया खुद की और आता दिखा। राधा की सांसे तेज हो चली थी वो घबराकर जल्दी से गाड़ी में बैठ गई। डरते हुए गाड़ी से बाहर फिर देखा अब वो साया नहीं था। तभी उसे ऐसा लगा जैसे उसके बगल वाली सीट पर कोई बैठा है। राधा डर से कपकपाने लगी पर उसे मुड़ कर देखने की हिम्मत न हुई। तभी उसे लगा किसी ने उसके हाथों को छुआ उस छुअन में अजीब सी चुभन थी| राधा ने आंखे उस हाथ की और घुमाई बड़े और नुकीले नाखून और हाथ पूरी तरह खून से सना था। उसे देखते ही राधा की चींख निकल गई, वह गाड़ी से बाहर निकलने के लिए जैसे ही हिली गाड़ी का दरवाजा एकदम से बंद हो गया था। अब तक राधा की हालत बहुत खराब हो गई थी शरीर पसीने से नहा चुका था।

तभी किसी की गर्म सांसे अपने कानों के पास महसूस हुई। राधा की हिम्मत जवाब दे रही थी, शरीर डर के मारे कांप रहा था। पर उसकी हिम्मत अभी भी बगल में देखने की नहीं हो रही थी। इतने में लगा जैसे कोई गाड़ी पीछे से आ रही हो। उसे थोड़ी हिम्मत बंधी और जोर से मदद के लिए पुकारने के लिए लंबी सांस भरी पर जैसे ही मुँह खोला आवाज मानो अंदर ही दब गई हो। अब कुछ भी बोलना उसे बहुत मुश्किल लग रहा था जैसे किसी ने उसका गला पकड़ लिया हो। इतने में वो गाड़ी भी गुजर गई।

"ककककौन हो??" राधा ने बोलना चाहा| इस बार उसे अपनी आवाज सुनाई दी। पर कोई जवाब न आया।

राधा ने फिर पूछा क्या

"क्क्क्या चाहिए तुम्हे....."

"तुम्हारी रूह......" बगल से आवाज आई। राधा का दिल बैठा जा रहा था। उसने एक बार फिर पूरी ताकत गाड़ी का गेट खोलने में लगा दी। इस बार तेज झटके से गाड़ी का गेट खुल गया। गेट खुलते ही राधा तेजी से भागी। और एकदम से किसी से टकरा गई।

"क्या हुआ मैडम जी आप इतनी घबराई हुई?"

"भभभैया आप? आप तो?" राधा काँपते हुए बोली|

"माफ करना मैडम वो टायर बदलने के लिए टूल नहीं था इसलिए पास में किसी से पूछने गया था| आप मोबाइल में बिजी थी इसलिए डिस्टर्ब नहीं किया, सोचा अभी किसी गाड़ी वाले से मांग लाऊंगा| पर सॉरी मैडम आने में थोड़ी देर हो गई" कहते हुए वह ड्राइवर टायर बदलने लगा।

राधा वहीं खड़ी उसे देखती रही। ड्राइवर के आने से उसका डर थोड़ा कम हो गया था, साथ ही उसपर गुस्सा भी आ रहा था कि वह उसे बिना बताए सुनसान सड़क पर अकेला छोड़ गया।

"चलिए मैडम गाड़ी रेडी है" ड्राइवर गाड़ी में बैठ चुका था, पर राधा की हिम्मत गाड़ी में बैठने की नहीं हो रही थी। ड्राइवर फिर बोला "चलिए मैडम"|

राधा डरते हुए गाड़ी के पास आई उसने झुककर पीछे सीट पर देखा वहां कोई नहीं था। घड़ी देखी तो दस बज रहे थे। वह चुपचाप गाड़ी में बैठ गई। कई दिनों तक राधा उस रात को भूल नहीं पाई और न ही उस दिन के बाद वह कभी ऑफिस में लेट हुई।


@बबिता कुशवाहा



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