बहु भी बेटी बन सकती है।

एक बहु की पुकार

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 09 Jun, 2020 | 1 min read

यहाँ मैं कुछ पंक्तियो के माध्यम से ससुराल के लोगो से ये आग्रह करना चाहती हूँ कि.....

दुनिया वालो से अलग जा कर तो देखो,

बहु भी बेटी बन सकती है बना कर तो देखो।

छोड़ दो वो छोटी सोच जो तुम्हे किचन में जाने से रोके,

बहु के लिए भी कभी चाय बना कर तो देखो।

तोड़ दो समाज का वो बंधन जो तुम्हारे दिमाग पर हावी रहे,

घूँघट के अंदर की उस लड़की को सलवार-कुर्ता पहना कर तो देखो।

वो भी तुम्हे माँ की ही तरह प्यार और सम्मान देगी,

पराये घर की उस बेटी को कभी गले लगा कर तो देखो।

जैसा बोओगे वैसा ही पाओगे चाहते हो अपनी लाड़ली को सुखी,

तो दूसरे घर की उस लाड़ली को अपना बना कर तो देखो।

करेगी वो सेवा तन-मन से तुम्हारे बुढ़ापे में,

कभी उसकी बीमारी मे उसके काम मे हाथ बँटा कर तो देखो।

दुनिया वालो से अलग जा कर तो देखो,

बहु भी बेटी बन सकती है बना कर तो देखो।


मेरी कविता पसंद आये तो लाइक करे और कमेंट करना न भूलें। धन्यवाद

स्वरचित

@बबिता कुशवाहा

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