दुखन को पहाड़

बुन्देली कहानी आत्मनिर्भरता जरूरी

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 28 Jun, 2020 | 1 min read
Sad Bundelkhandi Story

जब पुराने दोस्तन को ध्यान आओ तो एक दशक हो गओ तो। शुकर है फेसबुक को जिने हमाये पुराने यार दोस्तन खा फेनकई मेला दओ। जब सबरे संगे पढ़त ते तबे इतनी दोस्ती नइया ती नाइ इतनी बात होत ती लेकन आज एनई दोस्तन खो देख के इतनी खुशी हो रई जैसे खोओ भओ खजानो मिल गओ होय। फेसबुक के जरिया ही मेरो दीपा से फेनकई संपर्क भओ।

पतो नइया उये हम याद हुए की नाई? का पतो मोये बेसर न गई होय? चलो मैसेज तो भेजई देत हो, बिसरी न हुए तो तो लौटा दे है।" उये हम आज भी याद हते, मैसेज को जवाब लोटाबे पे जो पक्को हो गओ की बा मोये भूली नइया। राजी खुशी पुछबे के बाद मैंने उको फोन नम्बर ले लओ, सोचो कोनऊ दिना सरतारी होके फुर्सत से बात करहो।

एक दिना हमने उखा फोन करो। इतने सालन बाद उसलकी आवाज सुनी मगर अब उकी आवाज में बा चंचलता नइया, बा खिलखिलाहट नइया। जिसे बा सबरे स्कूल में पहचानी जात ती।

"का भओ दीपा का हो आज कल? ब्याओ आओ भओ कि नाइ?" मैंने उत्सुकता से कई।

दीपा ने जो बताओ उ आज भी मोरे मन खा उके लाने सहानुभूति और दया की भावना से भर देत है। उको ब्याओ तीन साल पेला ही भओ तो। उको पति रमेश बम्बई में कोनऊ कंपनी में अच्छे पद में नोकरी करत तो। बा अपने पति के संगे बम्बई में ही रात हती। रमेश दीपा खा बड़ो चाहत तो। सबकछु बड़ो अच्छओ हतो कि एक दिना ऐसो तूफान आओ जो दीपा की सबरी खुशियन खा बहा के ले गओ। ब्याओ के 2 साल बाद एक दुर्घटना में रमेश को देहांत हो गओ। दीपा और उकी 6 मईना की बिटिया पे तो दुखन को पहाड़ ही टूट पड़ो।

बोलत-बोलत दीपा फूट फूट कर रोउन लगी। दीदी भगवान ने हमाये संगे बड़ो बुरओ करो है, हम तो इ बिटिया के लाने जी रये वरना अब हमाओ तो कुछ बचचो ही नइया। रमेश के बीमा के कछु पइसा मोरी और बिटिया के नाम पे मिले हैं, बे हम अपनी बिटिया के भविष्य के लाने रखबो चाहत है| लेकन मोरे ससुराल वाले उ पइसन के लाने मोये धमकी दे रये हैं। जब रमेश हतो तो जेइ ससुराल वाले मोये पलकन पर रखत ते और आज सब मोये मनहूस कात है मोरी बच्ची के लाने भी उनमें कोनऊ मानवता नाइ बची।

पापा मोये वापस घरे ले आये अबे हम मायके में है। लेकन अब हम कोनऊ पे बोझ नई बनबो चाहत। ईश्वर ने मोये इ काबिल तो बनाओ है कि हम अपनो और अपनी बिटिया को पेट पाल सके। मैं स्वाबलंबी बनके अपनी बिटिया के लाने प्रेरणा बन है| अबे हम एक कंपनी में काम करत है, साथ में कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी भी कर रये है।उने अपनी जो कहानी बताई उके बाद मोरे पास बोलबे के लाने कछु शब्द ही नइया ते। समझ नई आ रओ तो की का बोलूँ। इतनी कम उमर में का कछु नहीं सहो उने। अपनी बिटिया के लाने जीवनसाथी से बिछड़बे को दुख कोल भीतर लुका लओ तो उने। यकीन नई हो रओ तो कि जा बेई दीपा है जो हमेशा सबखा इतनो हँसात ती। और आज कितनी समझदार हो गई है। परिस्थितियों ने उखा इतनो कम उम्र में इतनो अनुभवी बना दओ तो।

दोस्तों, जा कहानी मोरी एक सखी की पुर्णता सच्चाई पे लिखी है। आपखा मोरी कहानी नोनी लगे तो लाइक कइयों और मोये फॉलो करबो न भूलियों। धन्यवाद

@बबिता कुशवाहा

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Babita Kushwaha

Babitakushwaha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत खूब 👌👌

  • Kamini sajal soni · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढ़िया

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thankyou so much @sandeep @kamini ji

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