#poetry contest

प्रकृति की पुकार

Originally published in hi
Reactions 0
660
Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 22 Apr, 2020 | 1 min read

चलो आज एक सौदा करते है

कुछ तुम दो, कुछ मैं दूँगी,

जो तुम एक पेड़ लगा दो

बदले में जीवनपर्यन्त शुद्ध हवा दूँगी,

जो तुम अपने बगीचे में मुझे सहारा दो

अपनी चहचाहट से तुम्हे जगा दूँगी,

जो तुम एक दिप जला दो

तुम्हारे घर-आंगन को रोशनी से सजा दूँगी,

जो तुम अभी से पानी बचा लो

कभी तुम्हे प्यासा न रहने दूँगी,

चलो कर लो अब तो आगाज़

बंद करो मुझ पर अत्याचार

घर आंगन में लगा दो वृक्ष दो-चार

वरना धरती पर तबाही मैं मचा दूँगी।

स्वरचित, मौलिक

बबिता कुशवाहा

0 likes

Published By

Babita Kushwaha

Babitakushwaha

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.