बुंदेली लघु कथा

जिबे को मकसद (बुंदेली कहानी)

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 26 May, 2020 | 0 mins read

"का भओ मोहन भज्जा काय मो बनाये बैठे हो?"


"का बताओ तोये का भओ। जी मोड़ा खा मताई के बेना इतने सालन से पालो पोषो उ मोड़ा आज लोगाई की बातन में आके मोये ही घर से निकालबे का तौलौ है। अब ई बूढ़ापे में की को आसरो करिये" जी भारी करके मोहनजी, गुप्ता जी खा बताउन लगे।


"जेई दुनिया है भज्जा बुढ़ापे में तो खोद को जो शरीर ही संगे नही लगत तो फेर कोनऊ दूसरे से का आसरो करिये। लेकेन एक बात बोलो भज्जा अगर ते संगे लगे तो रिटायमेंट के पइसन से अपनो घर बनइये। जा तोरे और मोरे घाई बेसहारा आदमन का सहारो मिल सके।" गुप्ता जी बोले।


"सई के रओ भज्जा ते मोरे घाई कितने आदमन का सहारे की जरूरत होत है इतने पइसा तो है मोरे के छोटो सो वृद्धाश्रम खोल सको।" मोहन जी की आँखन में चमक आ गई। अब गुप्ता जी खा जीबो को मकसद मिल गओ तो।


मोरी रचना चोखी लगे तो लाइक जरूर करिये। धन्यवाद

स्वरचित एवं मौलिक

@बबिता कुशवाहा

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