रचयिता का धर्म

ईश्वर ने केवल इंसान की रचना की और इंसान ने धर्म नाम की दानवाकार आकृतियों की ।

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anil makariya
anil makariya 19 Dec, 2020 | 1 min read
Hindi

रचयिता का धर्म


एक बच्चे ने जन्म लेते ही देखा कि 8-10 दानवाकार आकृतियां नवजात बच्चों के दिमाग में भावनाएं भर रही है। 

उसने तुरंत रचियता से सवाल किया ।

"यह दानवाकार आकृतियां कौन है ? पहले तो अपने बच्चों के दिमाग में संतुलित भावनाएं डालने का काम आपका था न ?"

बच्चे का सवाल सुन रचयिता मुस्कुराया और बोला।

"इन आकृतियों को इंसान धर्म कहता है। इन्हें इंसान ने ही बनाया है । अब बच्चों में भावनाएं यही आकृतियां डालती है । जब से ये आकृतियां मनुष्य ने बनाई है, मनुष्य मुझे भूल चुका है। 

जिस समूह के इंसानो द्वारा जो आकृति बनाई गई है, उसी समूह के इंसान द्वारा ईजाद भावनाओं का फार्मूला उस समूह में पैदा बच्चे के दिमाग में डाला जा रहा है।" 

इतना बोल रचयिता मौन हो गया ।


"फिर तो मैं किसी मनुष्य जनित आकृति के पास नही जाऊंगा "

नवजात शिशु ने अपने रचयिता से कहा ।


"जैसी तुम्हारी इच्छा"

रचयिता ने आशीर्वाद दिया ।

जब आकृतियों ने उस शिशु को देखा तो भिन्न-भिन्न स्वर उनके मुंह से निकलने लगे ।

"......"

"अदिस्ट"

"मुल्हिद"

"नास्तिक"

"......."


Anil_Makariya

Jalgaon (Maharashtra)

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anil makariya

Anil_Makariya

Comments

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  • Ankita Bhargava · 3 years ago last edited 3 years ago

    बेहतरीन लघुकथा

  • anil makariya · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद अंकिता

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Wahh

  • anil makariya · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद सोनू लांबा जी

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