आजादी।।

स्वतंत्रता

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आनंद रॉय
आनंद रॉय 15 Aug, 2020 | 1 min read

मैं जब भी आजादी पर 

लिखना चाहता हूँ

न जाने क्यों मेरी कलम 

रुक जाती है?

मेरी आँखों पर एक स्त्री

की तस्वीर उभरती है

जिसके चेहरे पर मायूसी,

बेबसी की लकीरें साफ-

साफ दिखती है।


एक ऐसी स्त्री दिखती है

जो सदियों से मर्यादाओं

के बेड़ियों से जकड़ी है

वही मर्यादा जो आदिकाल

से सिर्फ महिलाओं के लिए

बनी है।


मुझे उस तस्वीर में एक लम्बा

घूँघट भी दिखता है

जिसके पीछे न जाने कितने

ख्वाब दफ़न है

वही ख्वाब जिसे स्त्रियां 

सदियों से जीना चाहती है।


मुझे एक स्त्री दिखती है

जो सदियों से सिर्फ सबकी 

सुनती आ रही है

जो अपना पक्ष रखना 

कभी सीखी नही।।


लज्जा,शर्म,मर्यादा,पाबंदी

ऐसे बहुत से शब्द हैं जो

सिर्फ स्त्रियों के लिए बने हैं।


अब सवाल यह है की

क्या आजादी सिर्फ पुरुषों

को मिली है?

एक आजाद मुल्क में

स्त्रियां आज भी आजादी की

जंग लड़ रही है।


-----आनंद रॉय

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आनंद रॉय

Anandroy

Comments

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  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Sadhuvaad ki aap esa sochte hai.

  • आनंद रॉय · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद लंबा जी

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