नानिघर

आंगिका जय अंग प्रदेश।

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आनंद रॉय
आनंद रॉय 30 Jun, 2020 | 1 min read

मैया गे माय हमे जाय छियो नानी घर। बहुत दिन होय गेलो गेना,नानी घर पांच साल पहले गेल छलिये नीरज मामू के वियाह में। कल मामू फोन करलकय की आओ न नुनु घुमय ले। की बोलय छि जाइयो नानीघर?जो ने ते के मना करने छौ तोरा। ठीक छौ। कौन गाड़ी से जय भी अभी? 9 बजे छय विक्रमशिला ओकरे से चल जयबय।

नानिघर।

के हिकी रे नुनु? नानी हमे मोहना। अरे मोहना रे,रे नाती केते लमहर होय गेलही रे। माय नय आइलो? नय नानी मैया के काम छालो घर पर ते केनाके अयतोय हल। और नानी बहुत बदलल लागय छौ ई गाँव गे। हाँ नुनु अब पहला नियर थोरो छय की लोग दोसर के आंगन-द्वार जय छय बैठे ले सब अपना में मस्त छय। हाँ सहिये बोलय छि। आ गे नानी साँझ के चल भी बगीचा हमारा घुमावय ले,जहाँ पहले जय छली लेके तोय बहुत सारा जामुन,आम के गाछी छलय। हमे अमितवा सब छौरा आम,जामुन ढेला मार के तोरय छलिये। अब कहाँ नाती उ मौज सब गाछी काट लेलकय। के काट लेलकय नानी? अरे नुनु सड़क बनतय बोलय छालो नीरज मामू की सरकार सड़क बनतय उ कारण काट लेलकय। अपन पोखर नानी ओकरा में मछली छऊ ते होतोय। तहो नाती मजाक करय छि जब पेड़ नय ते बर्षा केना होतय और जब बर्षा नय होतय ते पोखर में पानी कैसे होतय और जब पानी नय ते मछली नय। हाँ नानी सही ये बोलय छि जब तक लोग प्रकृति के चीज के बचाब नय करतय,तब तक हमरा सब के प्रकृति से बहुत कम चीज प्राप्त होतय। हवा भी अशुद्ध,पानी भी गंदा और बीमारी भी बहुत सारा होतय। सरकार के भी चाही के जहाँ से पेड़ काटय छय वहाँ पेड़ लागय दे के चाही। बहुत दिक्कत छऊ नानिघर में भी अब! हमरो नानिघर में पहले वाला बात नय रहलय, हमे त सोच के आलय छलिये की रह बय कुछ दिन लेकिन अब की रहबो, कल चल जयबो नानी। हाँ नाती बहुत बदल गेलय गाँव भी अब यहाँ के लोग के भी शहर के हवा लग गेले। जब शहर के हवा गाँव में घुसत्य त गाँव हवा ते खरब होतय ही। अब छोड़ ई सब मुँह हाथ धो खाना परस्य छि यौ।






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आनंद रॉय

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