मुदिता एक चंचल स्वभाव की लड़की थी।हमेशा खुश रहती और किसी की अवमानना नही करती।एक सुंदर,सुशील लड़की होने के साथ अपने काम में भी योग्य थी। समय के साथ उसका विवाह एक अच्छे परिवार में हुआ,उसके पति का नाम विश्वास था।
ये कहें दोनो एक जैसे थे।विश्वास भी शांत स्वभाव का,हंसमुख व्यक्तित्व का मालिक था।
समय सही रफ्तार से चलता रहा और मुदिता गर्भवती हुई।तमाम जांच और अच्छे खान पान के साथ उसकी जचकी एक दम आसानी से हो गई।कुछ समय बहुत ही अच्छा निकला,उसकी गुड़िया बहुत ही प्यारी थी।किंतु जीवन में नया मोड़ आ गया,उसकी बेटी का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित था, मुदिता समझ नही पा रही थी कि ये सब क्या हो गया।कितने ही डॉक्टर और हकीमों को दिखाया कुछ आराम नहीं मिला।कुछ ने कहा आप इसे मानसिक अस्पताल ले जाओ,ये जीवनभर कुछ नही कर पायेगी।
निराश हताश मुदिता और विश्वास क्या करें समझ नही पा रहे थे। वो बोली,"मैं अपनी बेटी को ऐसे नही छोड़ सकती।इसके लिए जो बन पड़ेगा मैं करूंगी।
इसे काबिल बनाऊंगी,ताकि ये खुद के लिए जीवन तलाश सके।स्कूल में उसे दाखिला नहीं मिला तो कोई बात नहीं, मैं इसकी शिक्षिका बनूंगी।"
मुदिता ने दिन रात एक कर दिए अपनी बेटी को उठाने में।पैसा पानी की तरह बहा लेकिन उसकी मेहनत उससे ज्यादा थी। सबको समझती और अपने पर विश्वास रखने को कहती।
धीरे धीरे बेटी के अंदर विकास हुआ,वो बोलने की कोशिश करती और रंगो से प्यार करती।चलना अभी भी संभव नहीं था तो बैठे बैठे ही कागज पर रंग उकेरने लगी। कितनी ही सुंदर पेंटिंग बनाई उसने।मुड़िता और विश्वास समझ गए थे कि उनकी बेटी ने एक रह चुन ली है।अब वो कोई मुरझाए फूल नहीं बनकर रहेगी खुद को कुसुमित करके रहेगी।
उसकी मेहनत रंग लाई और एक पेंटिंग प्रतियोगिता में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी बन पहला स्थान मिला। मुदिता ने उसके लिए प्रदर्शनी आयोजित करवाई और कितने ही लोगो के लिए वो प्रेरणा बन गई।
आज शारीरिक रूप से वो भले ही कमजोर हो,लेकिन मानसिक रूप से सुदृढ़ बनकर जीवन का ध्येय पा लिया है।
धन्यवाद।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बेहतरीन
Thank you very much
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