Vidhisha Rai
Vidhisha Rai 07 Apr, 2023
कोई ऐसी ग़ज़ल लिखुँ
मैं सोचता हूँ कोई ऐसी ग़ज़ल लिखुँ, जिसमें काफ़िया, बहर की बखुबी बंदिशें हो; पर... मिसरों को उसूलों में बाँधना मुझे नहीं आता, जज्बातों को मीटर में बाँधना मुझे नहीं आता। मैं सोचता हूँ कोई ऐसी ग़ज़ल लिखुँ, जिसमें संघर्षमयी जीवन की परीकथा-सी दास्तां हो; पर... हकीकत को पर्दे में रखना मुझे नहीं आता, जहां को भ्रम में रखना मुझे नहीं आता।

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by vidhisharai

07 Apr, 2023

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