इस दिल को लगा कर ठेस

Nari Hamesha Se dusron Ke salah ko Manati hai kya aapane Jindagi ko Lekar vah Koi Irada nahin kar sakti

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 14 Jun, 2021 | 1 min read
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कैसे करेगी? अभी तो पहाड़ सी जिंदगी पड़ी है? खाने खेलने की उम्र में ऐसा हो गया कोई नहीं देखता अकेली औरत देखकर सब चरित्र पर कीचड़ उछालने लगते हैं

सबकी बातें कानों में पड़ रही थी रिचा के हां!! पति खोया है उसने उसके साथ श्रंगार चूड़ी मंगलसूत्र सभी तो खो गए हैं तो क्यों बात से दुख पहुंचा रहे हैं? बेटा और बेटी भी सारा दिन परेशान रहते हैं और उसी को देखते रहते हैं अब इनका तो माता पिता मुझे ही बनना है सब कुछ मुझे ही करना है जिंदगी भी बिल्कुल वीरान लगने लगी है। लेकिन फिर भी हिम्मत रख रही है रिचा लेकिन यह दुनिया वाले लोग बिल्कुल भी जीने नहीं देते हां बच्चे छोटे हैं बिटिया तो ढाई साल की ही है यह तो बड़े होकर भूल जाएंगे लेकिन मैं कैसे भूल जाऊं? उन लम्हों को जो आशीष के साथ बिताए हैं।

दूर रहकर भी मेरे दिल के पास है और खुद पालूंगी बच्चों को लेकिन मुझे नहीं दोबारा शादी कर नी

और 2 महीने ही हुए है आशीष को गए

अभी से लोगो ने सलाह पर सलाह देने की हद पार कर दी है।

अरे! हमने जमाना देखा है अकेले रहना इतना भी आसान नहीं है और देख तेरी बहन प्रिया की डेथ हुई थी तो उसके पति ने भी तो 6 महीने के अंदर ही शादी कर ली थी और आज बेटी और पूरा परिवार सही है।

हां तो यह जरूरी तो नहीं कि

पूरा बोलने भी नहीं दिया

अभी तुम्हारा ध्यान इस ओर नहीं जाएगा लेकिन जब काफी समय हो जाएगा तो तुम्हें खुद अकेलापन लगेगा

हां जब लगेगा तो तब सोच लूंगी लेकिन हमेशा ही क्यों औरतों की जिंदगी का फैसला किसी और को ही लेना है?

अरे माता-पिता जब तक बैठे हैं तब तक तो ठीक है लेकिन भाई भाभी कब तक रखेंगे? मायके के पड़ोसियों ने चिंता जाहिर की

तो क्यों रहूंगी मैं उनके पास खुद जॉब करूंगी और अपने बच्चों को पाल लूंगी?

भाभी भी कहने लगी एक वक्त होता है जब जरूरत पड़ती है साथी की तुम ही अपनी बहन को सम झाओ भाई भी कुछ नहीं बोल पा रहा है

नहीं भाभी यहां रहकर तुमसे जायदाद में हिस्सा नहीं लूंगी ऐसे कितने केस में ऐसा ही हुआ है इसलिए भाभी भी डरती हैं।

क्या आप अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते हैं? जरूरी तो नहीं कि शादी करके मुझे खुशी मिले अब मेरे बच्चे ही मेरा जीवन है। प्रिया के पति ने शादी की है उनका अपना निर्णय था लेकिन मैं उस स्थान पर कभी किसी को नहीं रख पाऊंगी जिस पर आशीष था तो मैं क्यों और जिंदगी बर्बाद करूं? और अपने बच्चों को मैं माता-पिता दोनों का प्यार दे सकती हूं। बस यह नहीं है कि औरतें शादी करें तभी सही रहेंगे यह मेरा निर्णय है और मुझे यही मंजूर है और आप सब को भी मानना होगा। सारी जिंदगी ही मैंने दूसरों के निर्णय माने हैं। स्कूल कॉलेज माता-पिता की पसंद से पढ़ाई की आशीष भी तो माता-पिता की पसंद का ही था अब जब उससे इतना प्यार करने लगी तो वह भी धोखा देकर चला गया। अब मैं एक निर्णय खुद के लिए खुद लेना चाहती हूं तो क्या वह भी लेने का हक नहीं? जिंदगी मेरी है और अब निर्णय भी मेरे होंगे हां! !

क्यों एक अकेली औरत को हमेशा किसी मर्द का साथ चाहिए? एक तो रिचा भगवान से नाराज है कि उसने उसे ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया और दूसरी तरफ उसके अपने रिश्तेदार ही उसे मजबूत बनने से रोक रहे हैं।क्या वह जिंदगी में एक फैसला अपने लिए नहीं ले सकती? जो कि उसका दिल कहता है दूसरी शादी करा कर सब लोग सोच रहे हैं कि नए जमाने से आगे बढ़ रहे हैं और लेकिन बात तो वही है अगर औरत की खुद की इच्छा नहीं है तो क्यों जबरदस्ती सब सलाह देने पर तुले हुए हैं?

क्या आप भी रिचा को कोई सलाह देना चाहेंगे या रिचा का जो भी निर्णय होगा उसको मानेंगे?


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