सूना आँगन

गांव से शहर बहुत कुछ खोया

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 18 Jan, 2021 | 1 min read
#culture

सूना आंगन

हम आंगन को तरसते हैं

वहां सूना आंगन है

कितना कुछ पाया है

पर बहुत गंवाया है

आंगन में खड़ा है बरगद

उस पर झूले की पींगे

ओ सखियों का खिलखिलाना याद बहुत आता है

दादी , ताई, चाची का मिलकर त्योहार मनाना याद आता है

घुटनों पर चलते थे

वहीं पर पढ़ते थे और सिलाई कढ़ाई बुनाई जाने क्या-क्या करते थे | उस आंगन से अब भी रिश्ता पुराना है|

अब तो कुछ भी सीखने को कोचीग को जाना है

कितना कुछ पाया है

पर बहुत गंवाया है

वर्षा शर्मा

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Varsha Sharma

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