मेरे सामने वाली खिड़की में एक हाउसहसबैंड रहता है

बदलते समाज की कहानी जो हम सबकी सोच बदल जाए तो समाज कितना अच्छा हो जाए

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 10 Sep, 2020 | 1 min read

रमा भागते हुए आई ओर बोली,                                    अरे, "निशा अपने सामने की खिड़की मे देखा तूने                  हाँ," भई देखा ऎसा क्या हुआ?                                          , अरे तुमने नहीं देखा तुम्हारी खिड़की से तो साफ दिखता है|उसके पति खाना बनाते हैं |तुम तो ऎसे कह रही हो जैसे तुमने देखा ही नहीं |                                                          चलो अभी काम करते हैं शाम को पार्क में बात करते हैं |अभी तो बच्चों को भेजना है इतने काम पड़े है ओर तुम हो कि पंचायत का टाइम निकाल रही हो |रमा जो मेरे घर के उपर ही रहती है | सामने वाले घर मे एक नई फमिली आई है रहने |हम सभी पड़ोसी बड़े प्यार से रहते हैं |अभी तो  नई फ़ैमिली को आए हुए कुछ दिन ही हुआ है |मेने भी नोटिस किया कि वहां लेडिज किचन मे कम ही दिखती है |                            शाम को पार्क मे टहलने आई तो रमा पहले से ही मोजूद थी |तभी वहाँ हमारी नई पड़ोसी भी अपने बच्चों के साथ आ गई | रमा बोली, "बिल्कुल हमारे जैसी ही तो है |मेने बातचीत शुरू की बड़े प्यार से वो भी हम से मिली |बातो बातो मे पता चला कि उसकी गवर्नमेंट जॉब है |दो प्यारे से बच्चों की माँ है |ओर पति हाउस हसबैंड है | घर का काम करने मे उन्हे मजा आता है |ओर बच्चों को तो उनके ही हाथ का पसंद है इसलिए वो ही सुबह लंच पेक करते है |बड़ा स्वाद है उनके हाथो मे |आप आइए सन्डे को हमारे यहां |जी जरूर आएंगे मुझसे पहले रमा बोल पड़ी |                                             वो तो हमसे मिलकर चली गई |


रमा को तो जैसे इसका ही इंतजार था बोली देखा जॉब करती है ओर पति किचन में खटता है |                                          निशा ने कहा कि आप एसी बात क्यूँ कर रही हो रमा देखो ये तो एक बदलाव है |जिसे हम सबको स्वीकार करना चाहिए |अगर पत्नी बाहर जाकर कमा सकती है तो पति किचन में क्यूँ नहीं हो सकते |ओर सच कहूं तो बड़ा अच्छा लगता है कि सुबह सुबह जब कोई पति किचन में हो | उसकी पत्नी को कितना अच्छा लगता होगा |ओर इसे ही कहते है पति पत्नी गाड़ी के दो पहिए है |

रमा को तो बात कुछ हजम नहीं हुई |लेकिन मेने उसको गाना सुनाया मेरे सामने वाली खिड़की मे एक हाउस हसबैंड रहता है |वो तो ना समझी पर मुस्कुरा दी|

सखियों ऎसे छोटे छोटे बदलाव हमे अपने आसपास देखने को मिल जाते हैं लेकिन हम लोग ही उसे जल्दी से स्वीकार नहीं कर पाते | हमे अपनी  मानसिकता बदलनी होगी ओर अपने आसपास के लोगों को भी समझाना होगा |आपकी क्या राय है??? 


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Varsha Sharma

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