बेटी पर नहीं..बेटों पर रोक लगाओ

बेटियों को रोटी सिखाएं या ना सिखाएं उनको अपनी रक्षा स्वयं करना सिखाए आज हर मा के अंदर आक्रोश भरा हुआ है लेकिन शुरुआत हमें भी घर से ही करनी होगी

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 06 Oct, 2020 | 1 min read
#fear #equality# #education #problam#

,"जल्दी चल पीहू जुडो की क्लास शुरु हो जाएगी ,"

12वीं में पढ़ने वाली बिटिया को जल्दी करने के लिए बोल रही है ,

दादी आई हुई है ,गांव से देख रही है कितनी बड़ी बेटी कोई घर का काम नहीं करती है तब तो सुबह-सुबह भागा दौड़ी मची हुई है सब लोग जल्दी जल्दी निकल जाते हैं |लेकिन शाम को बहू बैठती है तो सासु

मां

बोलती है ,"बहू बेटी को कुछ घर के काम भी सिखाए हैं या सिर्फ मारना पीटना ही सिखा रही हो कल को..,. सासू मां कहेगी कि मा ने क्या सिखाया है,????


तभी पीहू बोलने लगी, "दादी बताओ क्या खाओगे ?चलो मैं तुम्हें अपने हाथ की डलगोना कॉफी पिलाती हूं, "मुझे नहीं पीना है अलगगोना डालगोना

कुछ रोटी बनानी आती है, हां दादी चलो गरमा गरम गोभी के पराठे बनाती हूँ , "

, "अच्छा आते हैं तुझे मैं तो सोच रही थी तेरी मां ने तुझे यही सब कुछ सिखाया है कल को सासू मां ताने मारेगी, "

,"दादी आजकल समय बदल गया है सासू तो कोई ताने नहीं मारती बल्कि हम लोग ही बेटी को ताने मार मार कर उसकी आधी जिंदगी तो सास के डर से निकाल देते हैं क्या पता मेरी सास बहुत अच्छी हो ??वह भी जुडो कराटे जानती हो, "




चुपचाप सुन रही थी दादी, "यही सब देखकर समझ कर हम लोग बड़े हुए हैं तो यह हमारी रग-रग में बसा हुआ है और बेटी है ,"खाना बनाना तो आना ही चाहिए, "

अच्छा चल तुझे आते हैं तो परांठे बना कर दिखा

दादी भी पीछे नहीं रहने वाली थी |

हां दादी जी बहुत सुंदर परांठे बनाए तभी पीयूष आ गया बोला |

मैं भी दादी को बनाकर कुछ अपने हाथों से खिलाऊंगा चल तू कहां बनाएगा? तुझे कहां कुछ आता है ?बकवास कर रहा है नहीं दादी मां ने मुझे सब कुछ सिखाया है जब पीहू जुडो  की क्लास में जाती है तो मैं गिटार सीखने जाता हूं और खाना भी सीखता हूँ |अरे!!तू क्या यह नाचने गाने का शौक करेगा यह काम तो लड़कियों के होते हैं भैया , "

और तुम्हारी मर्जी तुम शहर में रहने वाले लोग हम पुराने लोगों को क्या पता????

तभी बहु दूध लेकर आ गई और बोली, "मां जी आप आजकल खबरें सुनती रही है आसपास का ऐसा माहौल है कि बेटी को रोटी बनाना आए या ना आए लेकिन बेटी को अपनी रक्षा स्वयं करना आना चाहिए और इसी के चलते में उसको जूडो कराटे सिखा रही हूं, कल को वह बाहर भी जाएगी अकेली होगी आपने देखा कि बलात्कार और अपराध बढ़ गए हैं| अपनी रक्षा करने में सक्षम होगी तो उसे हम सब की जरूरत नहीं पड़ेगी और रोटी का तो क्या है, यह तो जन्मजात गुण है यह तो सब का काम है और हम सब सीख लेते हैं लेकिन मुझे लगता है आज के जमाने को देखते हुए बेटी को सेल्फ डिफेंस आना चाहिए, " अब तो स्कूलों में भी यह शिक्षा देनी शुरू हो गई है और मैं तो कहती हूं बेटे को भी हमें बेटियों का सम्मान करना सिखाना चाहिए |क्योंकि बेटियों से ज्यादा बेटों की मां की जिम्मेदारी बनती है और जहां तक गाने बजाने का है शौक तो किसी को भी हो सकता है जो समय रहते पूरा करना चाहिए, "

सासू मां भी समझ गए ,"हाँ बहू हम सब यही देखते हुए सीखते हुए बड़े हुए तो हमने वहीं सब अपने बच्चों को सिखाया लेकिन जब समय की मांग कुछ और हो तो हमें बदलना चाहिए बदलाव प्रकृति का नियम है | और हम क्यों भूल जाते हैं कि पुराणों में भी तो हमें अपनी रक्षा स्वयं करने की बात बताई गई है ,और मां दुर्गा भी तो काली का रूप रख लेती है जब दुष्टों का संहार करना होता है, बिल्कुल सही कर रही हो बेटा और कहते हुए सासु मां ने सिर पर प्यार से हाथ फेर दिया

फिर दादी बोलती है जरा मुझे तो बता कि तेरे दादाजी को 1,2 स्टेप मैं भी दिखा दूँ, " और पोते को बोलती है तू अपने दादा जी को चाय बनानी सिखा

सारा दिन चाय-चाय चिल्लाते रहते हैं |


पीहू फटाफट से तैयार होकर आ जाती है और दादी को दादी की साड़ी को बेल्ट बना देती है दादी हंसने लग जाती है और सभी खुश हैं |

यह छोटी सी कहानी आज के वक्त की जरूरत को दिखाती है| आज हर मा के अंदर आक्रोश भरा हुआ है | सखियों समय की नई मांग है आज छोटी-छोटी घटनाओं से हर मां आहत है हमेशा तो हम अपनी बेटी के साथ नहीं रह सकते तो उसे रोटी सिखाने से पहले स्वयं की रक्षा सिखाना होगा | और जो रेपिस्ट है उन्हें सीधा फांसी का फंदा दिखाना होगा क्योंकि जब तक भारतवर्ष में नारी को सुरक्षित नहीं कर पाओगे तब तक इसे सोने की चिड़िया नहीं बना पाओगे |और इसके लिए घर से ही शुरुआत करनी होगी |

आप बेटी को बढ़ाओ, बचाओ और उसे जल्लादों से बचाने के लिए आत्मरक्षा करने की ताकत दो | और अगर दुष्कर्म के वक्त बेटी उसकी हत्या भी कर दे तो वह खून से माफ होना चाहिए |

बलात्कार और दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर अगर कोई राजनीति करता है तो उन लोगों का बहिष्कार करना चाहिए | कानून तो कई बने हुए हैं लेकिन अमल में लाना चाहिए और ऐसी सजा दी जानी चाहिए कि जिसे आगे लोग डरे यह ना हो कि उनसे बचने के पैंतरे अपनाएं। जैसे कि आजकल की घटनाओं पर हो रहा है | और सबसे जरूरी बात है हर नारी को इस विषय पर खुलकर बोलना चाहिए यह ना हो कि नारी अकेली पड़ जाए या फिर ऐसी घटना होने पर उसे ही गलत ठहराया जाए | और लड़कों को यह शिक्षा देनी चाहिए कि नारी को सम्मान कैसे देते हैं ????नारी को जब चाहा लूटा और इस्तेमाल करके छोड़ दिया | इसीलिए स्कूलों में सेक्स शिक्षा भी शुरु कर देनी चाहिए| क्योंकि कई बार आधा अधूरा ज्ञान भी इन वारदातों को बढ़ावा देता है| अब वक्त आ गया है कि हमें लड़कियों को यह नहीं कहना की रात हो रही है जल्दी वापस आना हमें बेटों को कहना है रात होने वाली है तुम्हें घर बैठना है| ताकि जो तुमने लंबे चौड़े हाईवे बनाए हैं उस पर भारत वर्ष की लड़कियां बेखौफ

घूम सके|

बचपन से ही लड़कों को सिखाया जाना चाहिए कि नारी सम्मान की अधिकारी है

आप क्या सोचते हैं| आपके बहुमूल्य विचारों का स्वागत है इस विषय पर जितना भी कहे कम है क्योंकि कलम भी लिखते हुए कांप उठती है और बहुत अधिक गुस्सा भी आता है|

बस जरूरत है तो एक समाधान की


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Varsha Sharma

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