हिंदी ने बचाया साल

हिंदी को लेकर हम खुद ही संशय में रहते हैं जबकि हिंदी हमारे लिए नए-नए रास्ते खोलती है|

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 16 Sep, 2020 | 1 min read

   "तीन सालों से शहर में रह रही हो कभी तुमने कोशिश ही नहीं की अंग्रेजी सीखने की अगर सीखी होती तो आज काम आती ना....मुझे आज ऑफिस जरूरी जाना है और बेटे के लिए स्कूल में फॉर्म लेने जाना है|, "

,"स्कूल तो पास ही है फॉर्म मै  लेकर आ जाऊंगी|, "


,"देख लो ला  सको तो ठीक है ,नहीं  तो मैं कल छुट्टी करके ले लूंगा, "कहते हुए निशांत गुस्से में ऑफिस चला गया|


प्रिया जोकि  हिंदी मीडियम में पढ़ी हुई थी  थोड़ा अंग्रेजी  बोलने में हिचकिचाहट होती थी लेकिन डिग्री निशांत से भी ज्यादा थी| यह और बात है कि निशांत की नजरों में उन डिग्रियों की कोई अहमियत नहीं थी वह अक्सर ताने देते हुए सुना देता कि ऐसी डिग्रीया तो पैसों में खरीदी जाती है मुझे तो लगता है तुमने यह डिग्रियां शादी कराने के लिए पैसों में खरीदी होगी |

प्रिया जो शांत स्वभाव की थी इन बातों को हंसी में उड़ा देती थी| लेकिन कई बार यही बात  उसको अंदर तक हिला देती क्योंकि पढ़ने लिखने में हमेशा अव्वल रही थी| शादी के बाद ही वह संयुक्त परिवार में व्यस्त हो गई नहीं तो शादी से पहले  उसके हिंदी के आर्टिकल अखबारों में छपते थे|


प्रिया स्कूल जाती है और फॉर्म लेकर आई लेकिन स्कूल में पता करने पर उसे पता चलता है कि फॉर्म के साथ एक एप्लीकेशन भी देनी है |और आज लास्ट डेट है|

निशांत ऑफिस पहुंचकर उसे फोन करता है कि तुम  फॉर्म ले आई ,"प्रिया कहती है  हाँ

...तो निशांत कहता है, "चलो मैं आकर भर दूंगा कल सबमिट करा दूंगा "प्रिया कहती है लेकिन "आज ही लास्ट डेट है स्कूल में बताया है, "

हे भगवान !!अब आज तो मैं ऑफिस से जल्दी भी नहीं आ सकता मुझे तो तो रात हो जाएगी और तुम से तो यह भरा नहीं जाएगा |

"नहीं नहीं मैं भर दूंगी , "प्रिया ने बोला

",एक एप्लीकेशन भी लिखनी है अब एप्लीकेशन कैसे लिखोगे तुम मैं तुम्हें मैटर व्हाट्सएप करता हूं तुम उसे लिख दो और स्कूल में  दे आना,

देखो क्या होता है कहीं तुम गलत  सलत इंग्लिश ना लिख दो |, "  वह बोला तभी निशांत के ऑफिस में कुछ अर्जेंट काम आ जाता है और वह घर पर एप्लीकेशन व्हाट्सएप करना भूल जाता है|

घर आकर निशांत को अफसोस होता है कि उसी के कारण आज उसके बेटे का स्कूल में एडमिशन होने से रह गया वह बहुत दुखी भी है और गुस्सा भी है गुस्से में आकर प्रिया को बोलता है ,"कि मुझे याद नहीं रहा तुम तो मुझे फोन करके याद दिला सकती थी इन छोटी-छोटी बातों का भी मैं ही ध्यान  रखूँ  या ऑफिस में काम करूं आजकल की औरतें देखो कितनी स्मार्ट है अब  तुम्हारी वजह से 1 साल बर्बाद हो जाएगा बच्चे का ,"

प्रिया हमेशा की तरह अभी भी शांत थी और एडमिशन स्लिप लाकर टेबल पर रख देती है  |

अरे !!यह कैसे हुआ  फॉर्म किसने फिल अप किया???????एप्लीकेशन कैसे लिखी ??????कुछ गलत तो नहीं लिख दिया  | स्लिप आ गई  ना

अभी भी आपको   संतुष्टि नहीं हुई ," हां स्लिप तो आ गई लेकिन अभी एडमिशन का तो कुछ पता नहीं, " निशांत बोला


मैं भी पढ़ी-लिखी हूं हिंदी में ही सही, " फॉर्म  मैंने फिल अप किया और एप्लीकेशन गलत लिखने के बजाय मैंने अपनी मातृभाषा हिंदी में लिखी, क्योंकि जो भाव में हिंदी में लिख पाती वह अंग्रेजी में शायद रह जाते हैं और मैंने एप्लीकेशन देने से पहले पूछ लिया था उन्होंने भी कहा हिंदी या इंग्लिश किसी में भी दे सकते हो एप्लीकेशन पढ़ने के बाद टीचर ने कहा कि आपका एडमिशन तो पक्का है आप ये  एडमिशन स्लिप ले जाइए  प्रिया बोली ,"आप चिंता मत करो उसका एडमिशन हो जाएगा    उन्होंने बोला है  वह फोन करके सूचित करेंगे

अगले दिन स्कूल से   फोन आता है .... मि ० निशांत आपके बेटे का स्कूल में एडमिशन हो गया है | और प्रिंसिपल मैम ने पूछा है कि क्या आपकी वाइफ हमारे यहां  हिंदी टीचर के रूप में काम कर सकेंगे ?? आप   फीस सबमिट  करा दे| प्रिया भी पास में है |निशांत आश्चर्य से भर उठता है और प्रिया को कहते हैं लो तुम्हारी हिंदी नहीं जीता दिया और बेटे का साल खराब होने से बचा लिया अच्छा यह तो बताओ क्या लिख कर आई थी  | जो प्रिंसिपल मैडम तुम्हें  जॉब औफर  कर रही हैं|, " प्रिया  बोली  "कुछ नहीं जो मुझे सही लगा समय के हिसाब से एक मां के भाव लिख दिए शायद उन्हें पसंद आ गया हो|

अच्छा तो आप मुझे नौकरी करने की इजाजत देंगे ," चलो भाई बेटे के साथ साथ तुम्हारा भी स्कूल में एडमिशन हो गया हां हां क्यों नहीं तुम्हें अच्छा लगता है तो तुम जरूर करो???????प्रिया बोली तो अब मेरी डिग्रियां आपको खरीदी हुई तो नहीं लग रही निशांत  चुप  था और कहने लगा आज  कल अंग्रेजी  ने इतना माहौल बना लिया है कि हम हिंदी को भूलते जा रहे हैं लेकिन तुम्हारा हिंदी के प्रति प्यार ही तुम्हें आज जीत दिलवा गया और मैं तुम्हारे आगे शर्मिंदा हूं मुझे माफ कर दो ,"और अपने हिंदी के इस प्यार को हमेशा जीवित रखना ,"

,"हां क्यों नहीं मेरे हिंदी के प्रति प्यार  ने तो आज मेरी डिग्रियों की अहमियत मुझे बताई    हिंदी मेरा अभिमान है आज इसने मेरे बेटे का 1 साल खराब होने से बचा लिया| इसे तो मैं मरते दम तक ना छोडूंगी क्योंकि जो मेरी सांसों के साथ  घुला हुआ है उसे मैं कैसे भूल सकती हूं????हां अब थोड़ी अंग्रेजी बोलना भी सीख जाऊंगी क्योंकि अंग्रेजी स्कूल में जा रही हूं, "


निशांत बोला "और क्या पता  !!!!तुम  वहां के लोगों को हिंदी सिखा  दो , "और अब दोनों एडमिशन की तैयारी करने लगे दोनों खुश थे.,.,,,...


दोस्तों कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें हिंदी से बहुत प्यार होता है क्योंकि हिंदी उनकी रग-रग में बसी हुई होती है हिंदी बोलने वालों को हीनता की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए अपितु उनसे कुछ सीखना चाहिए क्योंकि हिंदी के बारे में इतने ग्रंथ लिखे गए हैं कि आप एक जन्म में तो इनको संपूर्ण नहीं कर पाओगे तो कम से कम कोशिश करके देखो और अपनी भाषा को मान दिलाओ, भाषा आपको मान दिलाएगी ......आपको यह कहानी कैसी लगी कमेंट में जरूर


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Varsha Sharma

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bahut achi kahani.

  • Varsha Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद sonia ji

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