इस अंजुमन में आज फिर
चिलमन का क्या काम है
मृगनैनी के नैनों से छलक
रहे जाम है
मद भरे जो होठ ,क्यों उन पर ये है ओट ,
ये तो हम आशिकों के दिल पर है चोट
इश्क हमको भी ,तुमसे है रूह से रूह वाला
क्यों चिलमन डालकर मेरा दिल दिया जला
बेकरार दिल है , ओ मद भरा मौसम
चंद्रमुखी चंद्र जैसा मुख तो दिखा
इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपेगा अब
तो प्रेम की वर्षा में यह गुलशन भीगेगा
ओ दीवानो तुम सब हो जाओ होशियार
चिलमन उठाने को गोरी है तैयार
वर्षा शर्मा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
I lover it ....
Shah talib ji thanku so much
Sonia madan ji thanku so much
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