# मेरी यात्रा
जब पतिदेव ने अंडमान निकोबार का प्रोग्राम बनाया तो मैं बहुत डर रही थी |फ्लाइट से जाना था फिर पानी में जाना था तो एक अजीब सा डर था पता नहीं कैसी जगह होगी कैसे मजा आएगा ???या डर डर में पूरा ट्रिप निकल जाएगा| सर्च भी खूब किया और जो लोग गए हुए थे उनसे भी खूब बातें की सभी ने यही कहा कि जरूर आपको अंडमान का ट्रिप करना चाहिए बहुत अच्छा है| लेकिन डर था कि जाने का नाम ही नहीं ले रहा था
अक्टूबर 2018 में हम लोगों ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह जाने का प्लान किया हुआ था |21 अक्टूबर को हमारी बुकिंग थी हम एयर इंडिया फ्लाइट से वीर सावरकर, इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सुबह 9:00 बजे पहुंचे हमारे होटल की बुकिंग थी हम टैक्सी कर होटल में पहुंच गए फिर थोड़ा रेस्ट करने के बाद हम कार्बन स्कोव बीच पर गए| वहां पर पूरा पानी ही पानी और वाटर स्पोर्ट्स भी हो रहे थे |पहला दिन था इतना पानी देखकर ही मैं तो घबरा रही थी| तो मैंने तो कोई स्पोर्ट्स में भाग नहीं लिया बेटे ने और पति ने स्पोर्ट्स किया|
फिर हम खाना खाने के बाद सेल्यूलर जेल गए|
सेलुलर जेल जिसे अंग्रेजों के जमाने में काला पानी कहा जाता था| वहां पर भारतीय कैदियों को रखा गया था| वीर सावरकर की उसमें कोठरी है| उनको भी उसी जेल में रखा गया था उस जेल को देखने पर हम लोगों को तो मनोरम दृश्य दिखाई दे रहा था| लेकिन जब सोचते हैं तो रूह कांप पड़ती है इतनी लंबी लंबी दीवारें कोठियां और इतने बड़े-बड़े ताले लगे हुए थे हमने सभी कोठरिया देखी और सबसे खास वीर सावरकर जी की कोठरी देखी| वहीं पर फांसी घर भी था जहां पर कैदियों को फांसी दी जाती थी | शाम को 5:00 से 7:00 जेल में लाइट एंड साउंड शो होता है वह सुनने और देखने से हमें उस टाइम का पता लगता है कि कैसे हमारे कैदियों को यातनाएं दी जाती थी और हमारे उसको देखने के बाद रोंगटे खड़े हो जाते हैं आंखें भर आती हैं इतनी प्रताड़ना सहने के बाद वह लोग हमें आजादी दिला पाए| यह सुनकर हम सब भावविभोर हो उठे थे यह दिन हमारे लिए सबसे यादगार बन गया था|
22 अक्टूबर को हम रोज आईलैंड गए वहां पर मोर हिरण और खरगोश और बहुत सारे जानवर थे नेचर के बिल्कुल करीब एक छोटा सा टापू बहुत अच्छा लग रहा था हम वहाँ पर दो-तीन घंटे रुके फिर शाम को हम चिड़िया टापू गए |चिड़िया टापू पर सूर्यास्त होते हुए देखना बहुत ही रोमांचक अनुभव है वह हमने देखा|
23 अक्टूबर को हम सभी म्यूजियम देखने गए एंथ्रोपॉलजिकल म्यूजियम ,फिश एक्वेरियम,,नेवल मरीन म्यूजियम और और छतम सोमिल हमने देखी वह एशिया की सबसे बड़ी मिल है और सबसे पुरानी है समुद्र का किनारा बहुत खूबसूरत लगता है वहां से| वहां पर एक बम गिरा था जिसका निशान आज भी है और बोम्ब पिट के नाम से मशहूर है
24 अक्टूबर को हम हैवलॉक द्वीप जाने के लिए फैरी ग्रीन ओसियां 2 से गए |बहुत सुंदर नजारा था चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा था| और फेरी पर चढ़कर तो हमने खूब फोटो खींचे पहले तो डर ही लग रहा था लेकिन समुंदर पर चलते हुए पूरा एक होटल साथ चल रहा था इस तरह लग रहा था | अब अक्टूबर में जब हम गए उसके बाद मोदी जी गए तो उन्होंने वहां पर सभी अंग्रेजों के नाम पर रखे गए जगह के नाम चेंज कर दिए अब उसका नाम स्वराजदीप हो गया है|
शाम को हम काला पत्थर बीच गए हमारे यहां जो हट बुक था वह बिल्कुल समुद्र के तट पर था समुद्र की लहरें बहुत अच्छे से सुनाई दे रही थी और उस दिन पूर्णिमा की रात थी तो हाई टाइड भी था मैं तो और ज्यादा घबरा रही थी लेकिन मजा बहुत आया और वहां पर सुबह 4:00 बजे सनराइज देखना बहुत अच्छा लगता है बीच पर हम सुबह 4:00 बजे पहुंच गए और हमने खूब मजा किया पैरों को छूती हुई लहरें एक असीम सुख की प्राप्ति करा रही थी वहां से आने का मन ही नहीं हो रहा था|
25 अक्टूबर 24 तारीख को हमने स्कूबा डाइविंग के लिए अपनी बुकिंग करा ली थी| हम स्कूबा डाइविंग के लिए गए पहले तो डर लग रहा था कि पानी के अंदर जाकर कैसे करेंगे |लेकिन वहां के इंस्ट्रक्टर बहुत अच्छे होते हैं जो पानी के अंदर आपको सब कुछ 10 मिनट सिखाते हैं| आपको जब सब कुछ आ जाता है तभी पानी के अंदर ले जाते हैं बच्चे तो काफी नीचे तक गए और कोरल्स और फिस इतनी सुंदर लग रही थी और एक अलग ही दुनिया हमें दिखाई देती है जो पानी के अंदर बसी हुई है और वहां पर हमारी वीडियो भी बनाई उन्होंने और वह दिन हमारे लिए यादगार बन गया हमारे साथ ऑक्सीजन सिलेंडर भी ले जाते हैं और एक इंस्ट्रक्टर हर आदमी के साथ जाता है| हम चार थे और हमारे इंस्ट्रक्टर भी चार ही थे| और यह दिन हमारे लिए यादगार बन गया फिर शाम को हम राधानगर बीच गए उस टाइम बारिश हो रही थी लेकिन वहां की बारिश भी इतनी अच्छी होती है कि हमें ठंडा भी महसूस नहीं होता और उस बीच के पास ही एक आर्ट गैलरी से हमने सभी के लिए मोमेंटो लिए और शंख लिए| जब तक बारिश होती रही हमने शॉपिंग की फिर हमने चाट पकौड़ी इंजॉय की और फिर बीच पर आ गए उठती हुई लहरें बहुत प्यारी लग रही थी और वहां का सूर्यास्त बहुत ही रोमांचक था वहां से लौटने पर काफी टाइम होता है क्योंकि शाम के बाद वहां पर इजाजत नहीं होती | जिस तरीके से सूर्योदय जल्दी होता है उसी तरह सूर्यास्त भी वहां पर 5,5:30 हो जाता है|
अब अगले दिन हमें जट्टी से पोर्ट ब्लेयर वापस आए और कुछ हमने शॉपिंग की और लोकल में घूमे क्योंकि 27 तारीख को हमारी वापसी थी और 27 तारीख को ही करवा चौथ का व्रत भी था| 26 तारीख को हमने लोकल घुमा और डिनर के बाद हाथों में मेहंदी लगाई और अगले दिन की तैयारी की|
आज 27 तारीख थी लेकिन बिल्कुल जाने का मन नहीं कर रहा था |आने से डर लग रहा था और अब जाने का बिल्कुल मन नहीं था | करवा चौथ का मैंने व्रत रखा और हम वापस जाने की तैयारियां करने लगे |अंडमान का ट्रिप एक ऐसा ट्रिप है जो हम जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे बहुत अच्छा ट्रिप था अगर आपको कभी जाने का मौका मिले तो आप जरूर जाएं |हम पहले ही डरते हैं लेकिन वहां जाकर जो हमें नजारे मिलते हैं | उनको हम ताउम्र नहीं भुला सकते| एक अनोखा एक्सपीरियंस होता है|
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