पुलिस और झूठ

एक सत्य घटना जिसमे उस वक्त मैंने झूठ बोलकर उस स्थिति का सामना किया |

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 26 Jul, 2020 | 1 min read
#fear


   मुझे नवभारत टाइम्स की तरफ से इंदिरा गांधी म्यूजियम आर्ट गैलरी का गिफ्ट मिला था |उसमें जाना था यह 20 12 की बात है |मेरे दो बच्चे हैं बेटी, बेटा  छोटा था  मै  जा सकती  थी | संडे का दिन था हस्बैंड ने बोला बच्चों को मैं रख लूंगा |क्योंकि वहां पर अकेले जाना था |तो मैंने सोचा मैं ऑटो से चले जाऊंगी |हस्बैंड ने  कहा तुम पहली बार जाओगी क्या यह सही होगा????मैं बोली हां चली जाऊंगी मैं सब जानती हूं और  अब तो दो बच्चों की मां हूं मुझे अकेले भेजने में क्या दिक्कत ????  नहीं तुम कभी गई नहीं और देख लो जाकर मुझे फोन कर देना या मैं छोड़ कर आ जाता हूं |मैंने बोला नहीं तब तक बच्चे अकेले रहेंगे आप बच्चों के पास  रहो  गर्मियों का मौसम था| और मैं देख कर आ जाऊंगी थोड़ा जल्दी निकल लूंगी |रोशनी में ही आ जाऊंगी |मैंने ऑटो लिया|  औटो वाला बैठते ही थोड़ा मुझे अजीब सा लगा क्योंकि हम औरतों के पास एक  सिक्स्थ   सेंस होती है जिससे हमें पता लग जाता है कि कौन आदमी सही है और कौन गलत| मैंने उससे कहा, "कि भैया इंडिया गेट चलना है, "तो वह बोला ,"हम पहुंचा देंगे पहली बार जा रहे हो क्या इंडिया गेट ????मैंने कहा थोड़ा गुस्से में बोला  नहीं पहली बार क्यों कई बार जा चुके हैं ???चलो तुम जल्दी चलाओ |चलाने लगा फिर रास्ते में पूछने लगा कहां से हो मैडम ??? ज्यादा बातें कर रहा है मैंने उसको इग्नोर किया वह बोला कब तक वापस चलना है मैं वापस ले  चलूँगा| मैंने बोला तुम मुझे जल्दी से रेड लाइट पर छोड़ दो ,  मेरे पति  दिल्ली पुलिस में और मुझे लेने आ रहे हैं| अभी उन्हीं का फोन था |   एकदम से बस झूठ बोल दिया|  ( पति दिल्ली पुलिस मे नही है)

उसने सब कुछ पूछना बंद किया और मैं फोन पर बात करने का नाटक कर रही  थी| बस अभी  पहुँच  रही हहूं|  इस बत्ती पर हूं और थोड़ी भीड़ देखी मैं वहीं पर उतर गई आर्ट गैलरी थोड़ा दूर  थी  उसके लिए मुझे दूसरा   ऑटो करना था लेकिन अब मैं इतना डर चुकी थी कि मेरा बिल्कुल मन नहीं था| मैं आर्ट गैलरी   पेदल ही पहुंची क्योंकि उस दिन थोड़ा डर लगने लगा था |फोन पर पतिदेव को भी नहीं बताया कि वह परेशान होंगे |इसलिए घर आकर बताया तो वह  बोले   अरे वाह!!!हमारी शेरनी ने तो बहुत  सूझ बूझ  से काम लिया |अच्छा  किया उतर गई |

आज  तो उस बात को सोचकर मैं हंसती हूं लेकिन सच में उस दिन तो बहुत डर गई थी|

अब तो  ऑटो में कई बार अकेले जाती हूं| लेकिन उस दिन कुछ अनहोनी होते होते रह गई|


आज कोई भी बुरी घटना सुनती  हूँ तो मुझे अपने साथ  की वह घटना याद आती है सच में माहौल कितना खराब है | बस हमे  सूझबूझ से काम लेना चाहिए|



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Varsha Sharma

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