सरकारी खजाने खत्म हुए निजी निवेशक बढ़ाए जाएं
देश की अर्थव्यवस्था को कुछ यूं चमकाया जाए
इस विषय पर एक बहस चल रही है| कि क्या सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का निजीकरण करना चाहिए या उन्हें अपने दम पर चलाना चाहिए| इस पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग विचार हैं| और सरकार का अपना एक अलग दृष्टिकोण है|
निजीकरण मूल रूप से निजी मालिकों के हाथों में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को सौंपने की प्रक्रिया है |भारत में निजी करण मुख्य रूप से स्वतंत्रता के बाद शुरू हुआ फ्रांस जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम जैसे कई विकसित देशों ने पहले ही इस पर हाथ आजमाया था| और यह ज्यादातर मामलों में सफल साबित हुआ था| ऐसे कई कारण हैं जिनके चलते की सरकार की कुछ क्षेत्रों में निजीकरण का निर्णय लेती है |इनमें से कुछ सरकार का बोझ कम करना, वित्तीय घाटे का सामना करना, बेहतर सेवाएं प्रदान करना शामिल है|
सरकारी अर्थशास्त्र पंजीकरण का प्रभाव काफी हद तक सकारात्मक है| इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस रफ्तार से सरकार विभिन्न विभिन्न उद्योगों का सरकारी करण कर रही थी| उस रफ्तार से उसका निजीकरण हो रहा है| हमारे देश में सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत कई उद्योगों खराब प्रबंधन मालिकों के पर्याप्त ज्ञान और उचित संसाधनों की कमी के कारण बड़े नुकसान झेल रहे थे|
इस नुकसान का खामियाजा सरकार को उठाना पड़ा क्योंकि सार्वजनिक उपक्रम सरकार द्वारा वित्त पोषित थे इसमें सरकारी और शास्त्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया|
विभिन्न क्षेत्रों में निजीकरण के फैसले से सरकार को राहत मिली है| इससे सरकारी संसाधनों और धन की बर्बादी कम हुई है| निजी करण ने सरकार के निर्णय को भी काफी हद तक कम किया है |निजी निवेशकों में प्रतिस्पर्धा के कारण ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान हो रही हैं|
विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भी निजीकरण एक माध्यम है| हाल के सर्वेक्षण में पाया गया कि जिस किसी भी एशियाई देश में विदेशी गतिविधि आकर्षित होती हैं| वही देश अधिक शक्तिशाली बनता है| और आत्मनिर्भर भी बनता है|
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने बजट प्रस्तुत करते हुए घोषणा की थी |कि सरकार एलआईसी में हिस्सेदारी की बिक्री करेगी |वर्तमान में एलआईसी पूरी तरह से सरकारी कंपनी जिसमें केंद्र की 100% हिस्सेदारी है |वित्त वर्ष 2020 में सरकार ने विनिवेश 2.5 लाख करोड रुपए जुटाने का लक्ष्य के रखा है| एलआईसी में हिस्सेदारी बेचकर ₹70000 जुटाने की उम्मीद कर रही है|
हमारे राष्ट्र के कुछ प्रमुख उपकरण इकाईयों जैसे कि नागरिक विमान डाक सेवा यातायात और विद्युत क्षेत्र जैसी भारी घाटे वाली कहानियां जो कि हमारे राष्ट्रीय राजकोष पर बोझ थी निजी करण के माध्यम से आज फायदे वाले कानों में परिवर्तित हो चुकी है निजीकरण के कुछ उदाहरण मशीनरी कंपनी लिमिटेड, विदेश संचार निगम लिमिटेड, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड और ऐसी कई और कंपनियां है जो सफल हैं|
निजीकरण के कई फायदे भी हैं और नुकसान भी हैं समझदारी इसी में है कि हम नुकसान की भरपाई करने के माध्यम खोज निजी करण से अधिक लाभांश ले.....
तिमिर छाया जब सरकारी मुद्रा में
उद्योगों को डालो निजी करण में
बेहतर सेवाएं मिलेंगी सबको
देश होगा तब आनंद में
वर्षा शर्मा दिल्ली
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