सोच
नवम्बर की हल्की सर्दी है,गांव से सलीम अपनी बीवी को दिल्ली दिखाने लाया है |लेकिन गाँव जाने वाली बस निकल गई |खाना पानी साथ लेकर चलते हैं |लेकिन अभी दोपहर हो गई,, पानी खत्म हो गया |दोनों को प्यास लगी है |लेकिन आस पास कोई साधन नहीं है |तभी रूही वहां आई और बोली दादा जी आप मेरा पानी ले लो |मेरा घर पास मे है |अच्छा बेटा अल्लाह तुम्हें ख़ुश रखे |तभी वहां रूही की माँ आई ओर डांटने लगी बेटा अनजान लोगो से बाते करने के लिए तुम्हें मना किया हुआ है |अगर कुछ हो जाता तो | मेरी तो रूह काँप रही है सोचकर ज्यादा दानवीर बनने की कोशिश मत करो इन लोगो का क्या भरोसा ऎसे लोग ही बच्चो को बहला फुसला कर ले जाते हैं |चलो घर | बच्ची सोच रही है क्या पानी पिलाना गलत है?.? या मदद करना |ओर सलीम सोच रहा है कि कुछ लोगो की वजह से आज कोई मददगार भी नहीं बनना चाहता |
वर्षा शर्मा
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