बचपन और बारिश

बचपन में बारिश का अपना ही मज़ा है

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 21 Feb, 2021 | 1 min read
#1000कविता




याद आता है मुझको अपना गुज़रा ज़माना

वो बारिश का मौसम और बचपन सुहाना 

स्कूल में रेनी डे होने पर मेरा खुश हो जाना

रास्ते में फिर छप छप करते हुए आना

छींटे पड़ने पर लोगों का बड़बड़ाना

 फिर साॅरी बोल मेरा जल्दी से भाग जाना

घर आकर बारिश के पानी से तरणताल बनाना

फिर तैरने की सारी शैलियां आज़माना

कभी कागज़ की नाव से रेस लगाना

कभी साइकिल से पानी को चीरते हुए जाना

कभी बारिश में ही झूला झूल जाना

कभी फिसलकर गिरना, फिर हंसते हुए उठ जाना

मिलजुलकर चाय पकौड़े खाना

भीगने पर ज़ुकाम और सिर दर्द का बहाना बनाना

फिर अगले दिन स्कूल से छुट्टी मनाना

सड़क पर बारिश में तालाब सा बन जाना

मेंढकों का उसमें छलांग लगाना और टर्र टर्राना

स्कूल टाइम पर बारिश का रुक जाना

 बारिश का जैसे हमसे दुश्मनी निभाना

अब कहां वो दिन कहां वैसा ज़माना

अब तो आर्टिफिशियल रेन का है ज़माना

उसी में होता है डांस उसी में होता है नहाना

अपनी अपनी होती हैं यादें अपना अपना ज़माना


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

#1000कविता

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Vandana Bhatnagar

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Hello Ma'am, please use tag in tag option Which is in general setting.

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    जिस तरह से आपने use किया है वह count नहीं हो पाएगा 😊

  • Vandana Bhatnagar · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thankuuuuuu so much Charu ji💐💐

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