मैं अतरंगी पल सतरंगी

हुए यह पल सतरंगी तुम्हारी वजह से मैं लिपटी हुई मैं हुई अतरंगी

Originally published in hi
Reactions 0
500
Tulika Das
Tulika Das 16 Oct, 2020 | 1 min read

कुछ सतरंगी पल

दामन में अभी भी बंधे हुए हैं

कुछ मेरे तन से बंधे ,

कुछ तुम्हारे मन सेे बंधे ,

हम दोनों में हीं समाए हुए है।

कभी दरवाजे से ,

कभी छत से ,

राह देखते हैं कुछ  पल

हर आहट पर चौक जाते हैं ,

खुद ही मेें सिमट जाते है ,

इंतजार के ये सतरंगी पल

रंग है यह बेकरारी का ,

रंग है यह उम्मीदों का ,

कसक और कशिश के रंग भी मिल रहे ,

इस सतरंगी पल में हम भी कहीं खो रहे।

चांदनी केेे तारों में उलझी रात में ,

उलझ रहे दो मन एक ही बात में

थोड़ा इनकार का रंग

थोड़ा इकरार का रंग ,

रह-रहकर हो जाता है बेकल ,

है मिलन का यह सतरंगी पल ।

बारिश की बूंदों में लिपटी धूप ,

इंद्रधनुष के रंग है खूब ।

वजूद सेेेे तुम्हारे लिपटी 

मैं हुई अतरंगी

हुए ये पल भी सतरंगी ।

रचना -तुलिका दास

0 likes

Published By

Tulika Das

tulikadas1

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.