मासी माँ भाग - 3

पढ़िए आभास और मासी माँ की दास्तान

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 774
Surabhi sharma
Surabhi sharma 13 Dec, 2022 | 1 min read

रायगंज में स्थित तिमंजिला "सक्सेना निवास" जिसके दरवाजे से भीतर प्रवेश करते ही बड़ा सा अहाता जिसमें गुलाब के विभिन्न किस्म, रजनीगंधा सदाबहार, गुड़हल, मोगरा, डहेलिया के सुन्दर रंगो ने एक सुगंधित और मनोहारी छटा बिखेर रखी थी और कुछ ही दूरी पर के किचन गार्डन सेम, बैंगन, टमाटर, करेले, गोभी, और

       नवयौवना सी बेलों पर चढती लतर पर लजाती इतराती, इठलाती दुल्हन के आँचल की तरह पत्तों में खुद को    ढ़कती, छुपाती नर्म शर्मीली लौकी कुल मिलाकर रँग - बिरंगी हरी-भरी शांति बिखेरती हुई सक्सेना निवास के वातावरण को समृद्ध करने वाली मधुर गीत सी गाती प्रतीत होती थी |और आभास जब भी कहीं बाहर से आकर इस अहाते में दाखिल होता तो जैसे उसके अभिनन्दन को बागों में मचलती तितलियाँ पलक - पांवड़े बिछाये होती पर वो सब कुछ नजरअंदाज कर सीधा पहली मंजिल के बारजे में जाकर रेलिंग पर गड़े हुए गमलो में 9 बजे खिलने वाले नैनो - क्लॉक को दुलारता और फिर वहीं कड़ी से टंगे हुए बाँस के बने हुए झूले में झूलता कभी सुर में तो कभी बेसुरा "ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना" अलापता हुआ जाने अपने कौन सी चोट पर मलहम लगा रहा होता |

पर आज का समय कुछ और था, घर में घुसते ही वो 

धड़धड़ाते. हुए मासी माँ के कमरे की तरफ बढ़ने लगा सामने उसे मालती दिखी कोई और दिन होता तो वो मालती से लाड़ लड़ाते हुए पूछता कि काकी माँ" आज रात में खाना का बनायबु या फिर अपनी ही कोई फरमाइश कर देता की काकी माँ आज दलपीठी चाहे दाल - फरे बना लियह |

पर आज उनसे भी बात किए बिना वो सीधा मासी माँ के कमरे में पहुँचा तो देखा सब उन्हें घेरे बैठे हैं और वो पलंग पर लेटी हुई शून्य में ताके जा रही हैं |आभास ने सोचा था कि मासी माँ के पास पहुँचते ही वो उन पर तंज कसेगा की बुढ़ापे में. सठिया रही हो क्या दादी - अम्मा और मासी माँ उसके कान खिंचते हुए कहेंगी की मैं तेरी दादी कब से हो गयी रे! यूँ तो रिश्ता दादी पोते का ही है दोनों में पर आभास ने तीन वर्ष की उम्र में अपने पापा की देखा - देखी जब से इनको मासी माँ बुलाया तब से आज तक फिर मासी माँ ही बुला रहा है | 

पर आज परिस्थिति गम्भीर थी उनकी हालत को देख आभास को कुछ दिन पहले की घटना याद आ गयी जब मासी माँ के कहने पर आभास ने फेसबुक पर किसी राजीव कमल की आई डी सर्च की और मासी माँ एक प्रोफाइल की फोटो देख कर चौंक पड़ी थी उसने उनसे पूछना चाहा पर उन्होंने बस इतना कहा कि आभास मेरे मोबाइल में मेरी एक फेसबुक प्रोफाइल बना दे तो फिर आभास ने कोई सवाल नहीं किया और उनकी आई डी बना दी थी | 

पास पहुँचते ही आभास ने पुकारा मासी माँ, उसकी आवाज सुनकर मासी माँ की आँखे अचानक से ही बह उठीं और उन्होंने हाथ के इशारे से सबको अपने कमरे से बाहर निकलने का आदेश दे दिया सिवाय आभास के |


क्रमशः 

सुरभि शर्मा



0 likes

Support Surabhi sharma

Please login to support the author.

Published By

Surabhi sharma

surabhisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.