समाज में कृत्रिम बुद्धि का किरदार

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 01 Jan, 1970 | 1 min read

ए आई ये कर सकता है ए आई वो कर सकता है, अरे! तुम अपनी समस्या का समाधान नहीं खोज पा रहे ए आई हल कर देगा उस पर कोशिश करो |ए आई, ए आई ए आई चारों तरफ ए आई का शोर ठीक वैसे ही जैसे एक दौर में कंप्युटर, एक दौर में मोबाइल का था,

और आज ए आई का है |

कोई भी वैज्ञानिक आविष्कार सुविधाओं के साथ साथ दुविधाओं को भी जन्म देता है तो निश्चित रूप से "ए आई" भी अपनी उपयोगिता के साथ साथ कुछ नुकसान ले कर भी जन्मा है |

 

एक दृष्टि ए आई के अर्थ, उपयोगिता और हानि पर -

 

"ए आई एक कृत्रिम मशीन जो मनुष्यों की बुद्धि की तरह सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता रखता है |

भारत में ए आई के जनक' राज रेड्डी' हैं |

 

ए आई का विशेष लाभ ये है कि ये हर क्षेत्र का ज्ञान रखता है मीडिया, ऑफिसयल, व्यवसाय, लेखन, शिक्षा आदि हर क्षेत्र में इसका वर्चस्व बढता जा रहा है, वहीं हमारे समय का बचाव करता है, कार्य की जटिलताओं को कम करता है, दूसरों पर निर्भरता कम करता है |आर्थिक बचत करता है |यहाँ तक कि कृषि क्षेत्र में कटाई, बुवाई तक कर सकता है |

 

पर जब सब कुछ बहुत सरल दिख रहा हो तो उसके अंदर ही अंदर उसमें जटिलताओं का जाल भी उलझता रहता है |

 

ए आई का सबसे बड़ा नुकसान ये है कि वो मानवजनित रचनात्मकता को नष्ट कर रहा है और आलस्य को बढावा दे रहा है |

जब सब काम मशीन करने लगेगी तो मनुष्य क्या करेगा नौकरियों का विस्थापन बहुत ही तेजी से होगा हालांकि एक रिपोर्ट के अनुसार

पी डबल्यूसी के रिपोर्ट के अनुसार - 2017 से 2037 तक में ब्रिटेन में 70 लाख मौजूदा नौकरियाँ विस्थापित हो जाएंगी लेकिन 72 लाख नौकरियों सृजित भी की जा सकती हैं |

ए आई के पास सारा डेटा संग्रहित होने के कारण ये मनुष्य की निजता का भी नुकसान पहुंचा सकता है, ये ख़र्चीला भी सिद्ध होगा

ए आई डेटा से प्रशिक्षित होते है तो कुछ समस्याओं का समाधान में ये त्रुटिपूर्ण भी हो सकते हैं |

ए आई का भविष्य क्या होगा ये तो समय बतायेगा पर यह सर्वविदित सत्य है कि कृत्रिम बुद्धि कृत्रिम ही रहेगी वो मानव बुद्धि और मानव की जगह कभी नहीं ले सकेगा |

 

सुरभि शर्मा

 

 

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