जागो महानगर

प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाली जरूरतें कम कीजिए

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 20 Nov, 2022 | 1 min read

वैज्ञानिक विकास ने जितनी हमें भौतिक प्रगति दी है उतनी ही प्राकृतिक समस्याओं को भी जन्म दिया है |भौतिक सुख - सुविधाओं की दौड़ में लोग गांव से पलायन करते गए और शहर पर शहर बसाए गए| महानगरों में जब रोजी रोटी की खोज में गांव के लोग आकर बसने लगे तो समस्या शुरू हुई आश्रय की और इसका हल निकाला गया प्राकृतिक दोहन, पेड़ - पौधों जंगल का कटना, पहाड़ों का काटना, जल स्रोतों को सुखा कर मनुष्यों के आश्रय का निर्माण करना |जिसका परिणाम प्राकृतिक असंतुलन महानगरों में सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्यवर्धक वातावरण एवं वायु की| जंगलो का दोहन कर के बड़े- बड़े अपार्टमेंट में छोटे - छोटे निवास |धुएँजनित वाहनों की अधिकता, ऑक्सीजन देने वाले पेड़ की कमी, उद्योगजनित प्रदूषण जो वायु के साथ जल को भी प्रदूषित करते हैं |कूडे - कचरे, प्लास्टिक का क्षय न हो पाने के कारण उन्हें जलाया जाना, हर घर में ऐ, सी उपयोग की उपलब्धता सिगरेट जैसी हानिकारक वस्तु को स्टैटस सिम्बल समझ महिला - पुरुष हर किसी के द्वारा उपयोग किया जाना ये सब महानगर की वायु की गुणवत्ता को बिगाड़ने के मुख्य कारण हैं | जिसका असर महानगर में रहने वाले लोगों पर पड़ना शुरू हो चुका है कम उम्र में ही नजर का चश्मा लग जाना, दमे की बीमारी, मधुमेह आजकल महानगरों के बच्चों में आम हो चुका है | ओजोन की परत कम हो रही है जिससे तापमान में वृद्धि हो रही है |


जाने माने अखबार दि टेलीग्राफ़ के अनुसार दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 9 शहर भारत में ही हैं और यह खबर भारत के लिए बेहद गंभीर है कि हम रोज़ इतनी प्रदूषित हवा में साँस लेते हैं |


अगली पीढ़ी का सरंक्षक होने के नाते हमें इनके बचाव का समाधान खोजना ही पड़ेगा - 


1-अपने घर में और घर के आसपास जहां भी खाली जगह मिले वहाँ ऑक्सीजन देने वाले पेड़ - पौधे लगाने की कोशिश करें |

2-निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक वाहन या फिर सम्भव हो तो साइकिल का उपयोग करें |

-एयर कंडीशनर और चिमनी का उपयोग कम से कम करें |

कोशिश करें कि कचरों का प्राकृतिक रूप से क्षय हो सके जिससे उन्हें जलाना न पड़े |

सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली बिजली का उपयोग करें |

आपकी ऐसी जरूरतें जो प्रकृति को नुकसान पहुँचाती हैं उन्हें कम करने की कोशिश करें |

ये ध्यान रखें कि प्रकृति से ही हम मनुष्य हैं उसकी सुरक्षा उसकी देखभाल हमारा कर्तव्य है इसलिए प्रकृति से अपनी जरूरत के लिए जितना लें उससे कई गुना ज्यादा प्रकृति को लौटाने की कोशिश करें जिससे संतुलन बना रहे |


सुरभि शर्मा 


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