रजनीबेला (एक कहानी सुनी - सुनी सी)

धारावाहिक कथा

Originally published in hi
Reactions 0
259
Surabhi sharma
Surabhi sharma 02 Jun, 2022 | 1 min read

इस कहानी का अंत कहाँ करुँगी ये मुझे अभी पता नहीं पर शुरुआत रजनीबेला के जिन्दगी की उस पारी से करना चाहती हूँ जो जीवन का सबसे अहम और खूबसूरत दौर होता है 'वो है बचपन' |


तीन भाईयों के बाद जन्मी अपने पापा की सबसे लाडली | सयुंक्त परिवार में होते हुए भी उसका एक अलहदा स्थान अपनी वाचालता और चंचलता से सबके आकर्षण का केन्द्र रजनी अपने पापा पर जान छिड़कती थी|रँग - रूप में मध्यम जिद में अव्वल, पढ़ने की बेहद शौकीन| उसकी सबसे बड़ी ख़ासियत ये कि उसे आम में खास होना नहीं बल्कि खास में आम होना पसन्द था|उस नन्ही उम्र में अपने आँखों में सिर्फ एक सपना पाले हुए कि मुझे सिर्फ बड़ा होना ही नहीं बल्कि कुछ बहुत बड़ा करना है अपनी जिंदगी में |उस पगली! को उस उम्र में ये खबर कहाँ थी कि 'इस लड़क शब्द पर जो आ और ई की मात्रा का अन्तर' पैठता है वो अन्तर ताउम्र साथ निभाता है ई की मात्रा मतलब लड़की और लड़की मतलब दया, प्रेम, सहानुभूति, त्याग, ममता, देवी, दासी, चिड़िया, तितली, धरती, मछली.....सब कुछ| बस अगर उसके पास कुछ नहीं तो वो उसका अपना निर्णय और अपनी आत्मनिर्भरता |


पर ये जो हमारी रजनी हैं वो तो सबसे जुदा हैं सपने देखने की जितनी शौकीन उससे ज्यादा अपने सपनों को हकीकत में बदलने का अटूट आत्मविश्वास|


क्रमशः


सुरभि शर्मा 

0 likes

Published By

Surabhi sharma

surabhisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.