निर्बाध प्रेम

स्रोत कहाँ है प्रेम का? सुना है स्त्री हृदय!

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 11 Oct, 2021 | 1 min read

सुना है प्रेम बँधना नहीं चाहता

वह बहना चाहता है निर्बाध, अविराम |

स्त्रोत कहाँ है प्रेम का?

सुना है स्त्री - हृदय!

अवलम्ब कहाँ है प्रेम का? 

सुना है पुरुष - साहचर्य! 

साहचर्य में उत्पन्न हुआ दम्भ 

जन्म हुआ अवरोधों का, प्रेम के स्त्रोत में 

अवलम्ब होता गया दम्भ में निर्भय, स्वतंत्र|

"और कभी दूध का ऋण चुकाने के लिए 

तो कभी दूध का कर्तव्य निभाने के लिए 

परतंत्र होता गया प्रेम का स्रोत |

कभी अवलम्ब की अनिवार्यता की अदृश्य दीवारों में 

तो कभी कैद होता गया 

अपने कर्तव्यों के पारदर्शी जारों में |" 


सुरभि शर्मा

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Surabhi sharma

surabhisharma

Comments

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  • Kumar Sandeep · 2 years ago last edited 2 years ago

    आपकी कृति अनमोल होती है

  • Surabhi sharma · 2 years ago last edited 2 years ago

    शुक्रिया संदीप

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