माटी पुत्र

किसान के मन के हर्ष और विषाद..कितने बेसिक होते हैं, महसूस किजीए... हालांकि इस कविता में वर्तमान बिल का कोई जिक्र नही है, ये आम दिनो की व्यथा है, कोन्टेस्ट में, मैं लिख चुकी हूं, ये मेरी दूसरी रचना है, जिसको राजनिति से इतर रखा है..! पढिए जरूर..!

Originally published in hi
Reactions 1
492
Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 02 Dec, 2020 | 1 min read
Life obstacles Farmers Family Financial status

भगवन बस जल बरसा दे..

थोडी तो तू बारिश दे..

खेतो में धान रोपना है...।

मुन्नी की अम्मा कहती है..

छत तो ठीक करा लेते..

बारिश होगी तो..फिर छत टपकेगी..।

कोई बात ना भाग्यवान..

थोडा ओर सह लेना..

जब फसल धान की होगी अच्छी..

छत करवा दूंगा जरूर पक्की..।

दो दिन से आसमान देख रहे हैं..

लेकिन आसमान आग उगल रहा है..

बादल एक भी ना घुमड रहा है..।

पौध सूखती जाती है..

ग्राम परधान से मिन्नत कर ..

हरिया टयूबवैल से पानी फिर देता...

तब जाकर है धान रोपता ...।

लेकिन फिर भी खुश है..

फसल जैसे जैसे बढती है..

आंखो की चमक भी वैसे ही बढती ...।

अबकी फसल वाकई अच्छी है..

माटी मेरे देश की सोना उगले है..

अनाज किसानो का सोना ही तो है..।

फसल पक गई...कटने की सब तैयारी है..

आज आसमान में उमड घुमड भारी है...

हे भगवान...अब मत बरसना...

अपना तो यही चना चबैना..

फसल भीगी तो क्या खायेंगें ...

जीते जी हम तो मर जायेंगें..।

जुटेगा कैसे बच्चो का दूध भात..

छत तो अबके ढह ही जायेगी...

माटी के पुतर को फिर...

माटी में ही समाना होगा..।

परीक्षा इतनी कडी ये..कैसे करेंगें सामना..

डर के मारे सारा परिवार ..खेत में है जुटा..

बस फसल को एक बार घर जाने दे...

बादल तू अब तो जा...अब तो जाने दे..।।

©®sonnu Lamba

(कविता में किसान के मन की आशा निराशा को दर्शाया है...उसकी मजबूरियां कितनी बेसिक होती है....कविता को डर पर ही समाप्त कर दिया है...क्योंकी मैं दुखद अंत नही करना चाहती...वरना तो सभी जानते हैं ...वक्त के थपेडो से फसल की फसल नष्ट हो जाती हैं...किसानो की आत्महत्या की खबरे मिथक नही होती...कईं बार छोटे किसान जो कर्ज , फसल लगाने को बीज जुटाने को लेते हैं...उसी फसल को बेचकर चुका नही पाते... उसके ऊपर परिवार के खर्चे ...ऊंच नीच..और इमरजैंसी ...सब संभालता...धरती पुत्र पस्त हो जाता है..लेकिन मैं फिर भी अपने देश के किसान को हर हाल में मजबूत देखना चाहती हूं क्योंकी धरती से जुडा इंसान कभी हार नही सकता...बस थोडा सा साथ मिले अपने आसपास के लोगो का..और सरकार का.. .और ये तो सच है ही कि मेरे देश की धरती सोना उगले..।

जय हिंद..)


1 likes

Published By

Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    आपकी लेखनी को पढ़ना सदैव ही सुखदायी होता है

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद भाई @Kumar sandeep

Please Login or Create a free account to comment.