बुढापा

बुढापा अपने आप में ही एक समस्या है, उस पर वक्त कठिन हो जाए तो...!

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 12 Dec, 2020 | 1 min read
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बूढ्ढी काया, खुद का वजण खींच ल्यैं, तो ही बहोत...लेकिन ये रिकसा... अब खिंचता कोनी,

पर ..के करें.., आदमी तै अपना गला खुद ना घोट्या जा, जिब तलक सांस चाल्यै, रोटी भी चाह, कपडा भी , और इब तै, दवा भी, ....!

अपणे गाम में कितणा सूकून था, मजूरी करै थें खेतां पे, धूंप सर चढ ज्या थी तो पेड तलै सुसता लैं थ्यैं, पर , बेटा शहर उठा लाया, "बापू ,शहर चलो, वहां ज्यादा मजूरी मिलती हैं.. "

और रिकसा थमा दिया महारे हाथ में, सामाण ढोणा ,एक सेठ की फैक्टरी में , पर मजाल जरा देर हो ज्या ..सेठ कैसे तमतमा ज्या,और यहां घणा ही धुँआ, अरर जाम रहा अलग,।

बस यही सब सोच में वो चला जा रहा था तभी

पीछे से आवाज आयी, अरे ताऊ होरन ना सुनता क्या ?

और उसने एक नजर पीछे देख्या और

बूढे पैर ओर जोर से पैडल मारने लगे रिक्शा पर, तभी उसे उस भरी दोपहर में ऐसा चक्कर आया कि आंखो आगे अंधेरा छा गया, रिक्शा का बैलेंस बिगड गया और वो दूर सडक पर जा पडा..गिरते ही बेहोश हो गया ,रिक्शा पर लदा सामान भी चारो ओर बिखर गया सडक पर..।

अब पुलिस उसकी जेब की तलाशी ले रही है कोई नाम पता मिलें तो किसी को खबर करें , लेकिन उसकी जेब में कुछ भी नही मिला , उसे लावारिस की श्रेणी में अस्पताल ले जाया जा रहा है.. .!!

©®सोनूलाम्बा


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