'ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या '

पढिए ,समाज की ओर ,कईं प्रश्न चिन्ह लगाता हुआ ये लेख ...! ऐसी बात नहीं है कि ये बातें नयी है लेकिन ये तब तक विचारणीय हैं जब तक की पर्याप्त बदलाव नही हो जाते ..!!

Originally published in hi
Reactions 3
708
Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 15 Jul, 2021 | 1 min read
Life obstacles Girls Question Society Societynorms

अनचाही बेटी ...सोचिए बेटी के सामने ये विशेषण कब और क्यों लगा ..?

पहली बात तो ये कि बेटियाँ ही अनचाही होती हैं , बेटे नहीं, चाहें वे दो चार भी हो जाएं, हर भारतीय परिवार में पहली बेटी होते ही हर होने वाली मां पर ये दबाब आ जाता है कि अगला बच्चा तो बेटा ही होना चाहिए और तरह तरह की कवायद होने लगती है फिर उस लक्ष्य प्राप्ति के लिए..! 

टेक्नोलोजी आ गयी, भला तो जो हुआ सो हुआ, लोग जरूरत से ज्यादा स्मार्ट हो गये, पहले ही पता लगा लेंगें, बड़ा दुरूपयोग हुआ, तो कानून बन गये, लेकिन जो कानूनों से नहीं डरते, वो बाज नहीं आये, और डाक्टर उनके लिए हर चीज़ नोरमल है आप उनसे गैरकानूनी कितनी भी जांचे करा लो, वो वाकई ऐसी चीजें करते हुए खुद को भगवान समझते हैं, कुछ लोगो से इस समबन्ध में बात करो तो वो कहते मिलेंगें कि उससे तो बेहतर ही है जो पुराने जमाने में बेटियों की लाइन लग जाती थी, बेटे की चाह में, पहले मेरे विचार इस समबन्ध में बहुत क्रांतिकारी हुआ करते थे, अखबारों में भी मैनें कुछ लेख भेजें लेकिन अपने आस पास घर गृहस्थी में आने के बाद, मैने देखा समाज को ये बात सहज स्वीकार्य है, हां, सबके तर्क अलग अलग है। 

ऐसी बात नही है कि आज दो बेटियों वाले परिवार नहीं है, हैं.. उन्होनें ईश्वरीय देन को स्वीकार किया है और ये फैसला किया जो भी बच्चा होगा, हम उसे ही पालेंगें । लेकिन ये केवल बदलाव है आज भी सामाजिक चेतना में सहज स्वीकार्य नहीं है ये । 

बात को दूसरी ओर घुमाना चाहूंगी, किसी पर भी उंगली उठाना मेरा मक़सद नहीं है, 

तो कहना मुझे ये था कि वो संतान लड़की जो अनचाहे आ जाती है, उसके अस्तित्व का संघर्ष गर्भ से ही शुरू हो जाता है, क्या घर परिवार में होने वाली बातचीत उसकी माँ के मनोभावों पर असर नहीं करती और क्या मां के मनोभाव गर्भ में पल रहे शिशु को प्रभावित नहीं करते..? 

मतलब वो जगह जो उसके लिए सबसे सुरक्षित होनी चाहिए थी, वहीं से उसका चौकन्ना रहना और सहमना शुरू हो जाता है,फिर जन्म लेने के बाद, अगर सहज स्वीकार्य ना हो तो वो अपने ही परिवार में *दिल जीतो प्रोग्राम* शुरू करके खुद को साबित करती है, किसी भी लड़के की तुलना में दस गुनी आज्ञाकारी बनती है तब परिवार का प्यार उसकी झोली में आकर गिरता है, फिर यही प्रक्रिया ससुराल में जाकर शुरू होती है, सबके मन से चलो, पारिवारिक प्रतिष्ठा का ख्याल कदम कदम पर बना रहे जो कि जरा सा दरवाजे के बाहर हंस लेने से भी खण्डित हो जाती है, किसी की भी भावनाएं वहां आहत नहीं होनी चाहिए, आपकी कितनी भी हों, हों तो हों, अपना मन मारने की प्रैक्टिस बचपन से ही दी जाती है लड़कियों को, इस तरह वो पग पग अग्निपरीक्षा में रहती है, और लास्ट में अग्नि में जला दी जाती है। 

अब जरा एक नजर इस तरह के पल पल चौकन्ने और सहमते जीवन पर डालिए, महसूस होगा कि गोया जीवन नहीं, ये तो दो बांस की बीच बंधी वो रस्सी है जिस पर कोई नट कन्या चलती है, डरते डरते..!

अब जरा थोड़ा सा उल्टा सोच लीजिए, इन सब परिस्थितियों के बीच जब कुछ लड़कियाँ विद्रोहिणी हो जाती हैं तो कैसा सडे आम जैसा मुंह बनता है इसी तथाकथित समाज का जो उसे सहजता से रहने तक की इजाज़त नहीं देता..। 

ये तो साधारण कन्या और साधारण परिवारों के अंदर की बात है जहां गाहे , बगाहे उसे अपनापन, स्नेह, हमदर्दी मिलती रहती है, ये सब निभानें के लिए..। 

अब जरा घर से बाहर झांक लो, जहां उसी लड़की को तरह तरह की असहजता और छेड़खानी से दो चार होना पड़ता है, फूंक फूंक कर कदम उठाने होते हैं, गंदी नज़रो का सामना करना होता है, भीड़ में खुद के ही अंग बचाने होते हैं क्योंकि लोगो के हाथ पैर तो चैन से रहते नहीं ना, 

और ईश्वर ना करें, ज्यादा ही किसी को उसकी सूरत भा जाये तो उसकी दुर्गति करने में तनिक देर ना लगाते..।

अजी छोडिए... हम लिख भी नहीं पा रहे कि कोई बच्ची ऐसी घिनौनी चीजों से होकर गुजरे भी ..। 

हां एक बात जरूर कहेंगें ऐसी दुनिया है तो... 

"ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या "

✍️सोनू लांबा

3 likes

Published By

Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Dr. Pratik Prabhakar · 2 years ago last edited 2 years ago

    महत्वपूर्ण सवाल उठाती आपकी रचना🙏

  • Sonnu Lamba · 2 years ago last edited 2 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद प्रतीक जी

  • Varsha Sharma · 2 years ago last edited 2 years ago

    👏👏👏👏

  • Sonnu Lamba · 2 years ago last edited 2 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद

Please Login or Create a free account to comment.