माफ कर दो मां...

जगतजननी मां दुर्गा सब देखती हैं, उनकी आंखों से कोई नही बचा आज तक..

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 12 Jul, 2020 | 1 min read
Life Sprituality Fiction Goddess durga Navratr Prayers Worship Story

वो छैनी हथौड़ा लिए रात दिन अपने काम में लगा था,पहले उसके बाप दादा ये मूर्ति बनाने का काम करते थे, वो भी उनके साथ लगा रहता था, तरह तरह की मूर्तियाँ, पत्थर को को काटकर चाहे जैसा आका रदे देते थे ,उसके पिता चाहते थे कि वो अपने पुश्तैनी काम को आगे बढाए ,लेकिन वो शहर चला गया, वहां जी भर अय्याशी करता, घर में कहता कि काम ढूंढ रहा हूं, लेकिन ये कब तक चलता, पिताजी चल बसे ,आखिर अब पैसे कौन देता, इसलिए गांव वापस लौट आया और अपना पुश्तैनी काम ही आगे बढाने की सोची ,काम कुछ खास मिल नही रहा था, इसलिए नवरात्र आने का इंतजार था कि उससे पहले मां की मूर्ति बनाने के कुछ आर्डर मिलेंगे, और मिला भी, तीन दिन पहले ही ये काम मिला मंदिर के लिए एक भव्य मूर्ति तैयार करनी थी ....।


इसलिए वो रात दिन काम कर रहा था तब जाकर मां की ये मूर्ति पूरी हुयी, कल तक तैयार करके देनी है, कल मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी इसकी.. बस रंग करना बाकी है, लेकिन कल के भरोसे नही छोड़ा जा सकता अभी शुरू कर देता हूँ..! 

देखते देखते सुबह हो गयी, मूरत भी लगभग पूरी हुयी, चेहरा रहता है केवल... !


मां की आंखो पर रंग भरने के लिए जैसे ही उसने कूचि चलायी, मन घबराने लगा उसका , ऐसा लगा कि मां की आंखों में क्रोध उतर आया हो जैसे, वो डर के मारे थर थर कांपने लगा, बेहोश सा जमीन पर बैठ गया, 

 उसने अपनी अभी तक की जिंदगी में औरतो को कब , कितना और कहां कहां सताया था, रह रह कर हर मंजर उसे याद आने लगा..।

मां की आंखों से आंख मिलाने की उसकी हिम्मत ही नही हो रही थी, डर के मारे कूचि हाथ से छूटती जा रही थी, वो मन ही मन प्रार्थना करने लगा, मां. ..माफ कर दो, ये मूरत पूरी ना कर पाया तो परिवार भूखो मर जायेगा, उसकी आंख से आंसू बहते जा रहे थे, वो चुपचाप आंख बंद करके बैठा था, तभी एक पडोस की छोटी बच्ची का स्वर उसके कानो में पडा .."चाचाजी "

चाचाजी. .बैठे बैठे सो रहे हो...! 

लो चाय पीओ ..मां ने भिजवाई है. .!

मम्मी कह रही थी कि पूरी रात से आप काम कर रहे हो दुर्गा मां की मूर्ति देनी है, आज तैयार करके, मुझे भी दिखाओ कैसी बनी है...?


" बेटा... बस आंखो में अभी रंग नही हुआ. ."

"तो कर दीजिए.. मैं यहीं खडी हूं , देखकर ही जाऊंगी अब तो, फिर तो ये मूर्ति चली जायेगी, "

वो बच्ची की ओर एकटक देखता रहा, 

"बच्ची ने फिर कहा. .उठाइये कूचि, थोडा ही तो काम बचा है, "

उसने डरते डरते कूचि उठायी और धीरे धीरे मां की आंखों पर रंग करने लगा, बच्ची कुछ कुछ बोले जा रही थी और वो सोच रहा था... मां माफ तो कर दिया ना ,,मुझे.. "

तभी बच्ची ने तालियाँ बजायी ,हो गयी पूरी मूरत. ."

देखो, कितनी सुन्दर बनी है.. चाचाजी आपने तो कमाल कर दिया.. !

आंखे तो बहुत ही सुन्दर बनी हैं, देखिए तो एक बार ,चाचाजी, लड़की ने उसे झिंझोडा. .."

"हां हां बेटा. ..ये इसलिए सुंदर बनी हैं क्योंकि तू यहां खडी है, मेरे साथ...मां के सामने..! 

अब वो मां की आंखों में देख पा रहा था.. और बच्ची के सिर पर हाथ फेरता हुआ बडबडा रहा था, मां तेरी लीला अद्भुत है ..मां...!! 


 ©®sonnu Lamba 

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Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Namrata Pandey · 3 years ago last edited 3 years ago

    Heart touching story

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    हृदयस्पर्शी कथा! एक गूढ़ संदेश समेटे हुई है यह रचना।

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    Nice

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks @sonia

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks @sandeep

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks @namrta pandey ji

  • Shubha Pathak · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत खूब और प्रेरक👌🌹🙏

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