कमल

कीचड़,से बाहर आनें का क्या तरीका है ?

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 07 Aug, 2021 | 1 min read
Self-confidence Life Future Sprituality Struggle

एक नन्हा बीज़ प्रारब्ध वश कीचड़ में गिर गया था , कितना तड़पा, घुट घुट गया, अपने कर्मों को याद करता, ऐसा तो कुछ नहीं किया मैनें, फिर क्यों..? 

उसे कोई रास्ता ना सूझ रहा था वहां से निकलने का, ईश्वर को याद किया, उन्होनें भी उसको वहां से नहीं निकाला लेकिन उसमें चेतना की किरण जागृत कर दी कि वो कमल का बीज़ हो गया, थोडी घुटन और सह लो, और अपने पूरे प्रयास के साथ अंकुरित हो बाहर आओ, ईश्वर ने कहा.. "

खुद ही निकलना होगा, मैने अपने हिस्से का काम कर दिया है, बाहर निकल पाये तो तुम सोच भी नहीं सकते कितना सराहे जाओगे..! 


अब उस बीज़ में एक नये आत्मविश्वास का संचार हो गया था, उसने अपनी सारी ऊर्जा श्वांस पर अवस्थित की और ध्यान मार्ग का सहारा लेते हुए अंकुरित हो गया ..!

अहा..! 

कीचड़ से जरा ऊपर आते ही कितना बेहतर लगा खुली हवा, एक नयी उमंग मिल गयी हो जैसे, धीरे धीरे और ऊपर बढा़, पत्तियां उगी, कली आई और फूल खिल गया, फूल... कमल का, 

जिसे पाने को सभी में होड़ लगी थी, और एक दिन वहां से तोड़कर एक भक्त ने उसको लक्ष्मी नारायण के विग्रह पर अर्पण किया , अब लक्ष्मी जी के चरणों में था वो, श्री हरि उसे हरिप्रिया के चरणों में देख देखकर मुस्कुरा रहे थे, "

लक्ष्मी जी ने टोका, ऐसा भी क्या देख लिया प्रभु? 

ये कमल का फूल देखती हो , जो तुम्हारे चरणों में इठला रहा है, इसका बीज़ जगत माया के वशीभूत हो अपने ही कर्मों के दलदल में जा फंसा था और वहां घबराकर जब इसने मुझे पुकारा तो मैने इसमें चेतना जागृत की, कि तुम कमल बन खिल सकते हो ..! और परिणाम देख रही हो.!

हां, देख रही हूं, कि... 

"कीचड़ से यहां तक का सफर आसान नहीं है प्रभु,ये आपकी कृपा से ही संभव है..! "

लक्ष्मी जी ने मुस्कराते हुए कहा..।। 


©®sonnu Lamba

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